सियोल. नॉर्थ कोरिया ने हाइड्रोजन बम बनाने का दावा किया है। गुरुवार को नॉर्थ कोरियन स्टेट मीडिया ने देश के टॉप लीडर किम जोंग उन के हवाले से यह जानकारी दी। मिलिट्री साइट की विजिट के दौरान किम ने कहा कि हाइड्रोजन बम के साथ हमारी एटमी ताकत और बढ़ गई है।
नॉर्थ कोरिया पहले ही तीन न्यूक्लियर बम की टेस्टिंग कर चुका है। नॉर्थ कोरिया ज्यादा पावरफुल वेपन्स बनाने के दावे करता रहा है, लेकिन हाइड्रोजन बम का खुलासा पहली बार किया गया है।
सितंबर में वॉशिंगटन स्थित 'इंस्टीट्यूट फॉर साइंस एंड इंटरनेशनल सिक्युरिटी' (ISIS) ने नॉर्थ कोरिया के यांगयोन न्यूक्लियर कॉम्प्लेक्स में खतरनाक वेपन डेवलप करने का शक जाहिर किया था। थिंक टैंक ने सैटेलाइट इमेजेस के आधार पर बताया था कि नॉर्थ कोरिया ने आइसोटोप सेपरेशन फैसिलिटी डेवलप कर ली है, जहां ट्रीटियम बनाया जा रहा है।
ट्रीटियम थर्मोन्यूक्लियर वेपन्स बनाने में इस्तेमाल होने वाला मेन कम्पोनेंट है।
हाइड्रोजन या थर्मोन्यूक्लियर बम में चेन रिएक्शन फ्यूजन होता है, जो न्यूक्लियर बम के मुकाबले कई गुना ज्यादा तबाही लाने वाला होता है।
यांगयोन न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर की स्थापना नॉर्थ कोरिया और यूएसएसआर (अब रूस) के बीच 1950 में हुई डील के बाद हुई थी। यहीं नॉर्थ कोरिया एटमी बम बना रहा है। इस पर 1961 में काम शुरू हुआ और 1964 में यह बनकर तैयार हो गया। सेंटर पर करीब 3321 करोड़ रुपए (1962 में यूएस डॉलर की कीमत के मुताबिक) खर्च हुए थे। नॉर्थ कोरिया के न्यूक्लियर रिसर्च और डेवलपमेंट में इस सेंटर को सबसे खास माना जाता है। यह सेंटर जनरल डिपार्टमेंट ऑफ एटॉमिक एनर्जी के चार अहम न्यूक्लियर इंस्टीट्यूट्स में से एक है। बाकी तीन संगठनों में आइसोटोप एप्लिकेशन कमेटी, द एटॉमिक एनर्जी कमेटी और प्योंगयांग एटॉमिक एनर्जी शामिल हैं।
नॉर्थ कोरिया की राजधानी प्योंगयांग से 90 किलोमीटर दूर स्थिति यांगयोन रिएक्टर को 2007 में बंद कर दिया गया था। 'डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया' ने इसे 2013 तक शुरू करने की बात कही थी।
अमेरिका समेत यूके, फ्रांस और रूस नॉर्थ कोरिया के न्यूक्लियर प्रोग्राम को रोकना चाहते हैं। हालांकि, अब तक यह साफ नहीं हो सका है कि नॉर्थ कोरिया की न्यूक्लियर ताकत कितनी है।
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