नई दिल्ली: राजनैतिक हल्कों में ये सवाल पूछा जा रहा है कि क्या मोहन भागवत के आरक्षम की समीक्षा वाले बयान ने चुनाव हरवा दिया. क्या मोहन भागवत के बयान ने बाजी पलट दी ?
बिहार चुनाव में बीजेपी गठबंधन की करारी शिकस्त के बाद ये सवाल पूछा जा रहा है कि क्या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत का आरक्षण पर दिया बयान बीजेपी पर भारी पड़ गया है.
मोहन भागवत ने पांचजन्य और आर्गेनाइजर को दिए इंटरव्यू में कहा था कि आरक्षण पर फिर से विचार करने का समय आ गया है. आरक्षण की ज़रूरत और उसकी समय सीमा पर एक समिति बनाई जानी चाहिए. मोहन भागवत के आरक्षण पर पुनर्विचार करने के बयान का महागठबंधन के नेताओं ने बड़ा मुद्दा बना कर बीजेपी को कटघरे में खड़ा कर दिया.
इसी के बाद से अनुमान था कि बीजेपी को ये बयान भारी पड़ेगा. इसी के बाद पीएम नरेंद्र मोदी को भी इसका बचाव करने की जरूरत आन पड़ी थी. हार के बाद अब बीजेपी का कहना है कि हार की वजह मोहन भागवत का बयान नहीं है.
प्रसाद के मुताबिक ‘कत्तई नहीं.’’ प्रसाद ने कहा, ‘‘हम चुनावी नतीजों और उसके कारणों का विश्लेषण विस्तार से करेंगे.’’
बीजेपी भले ना बोले लेकिन राजनैतिक हल्कों से लेकर जानकार तक इसे बड़ी वजह मान रहे हैं. चुनाव के रूझान आने के बाद करीब सुबह दस बजे केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आरएसएस मुख्यालय जाकर मोहन भागवत से मुलाकात की. ये मुलाकात करीब 40 मिनट चली थी.
बैठक में क्या बात हुई इस बारे में बातें बाहर नहीं आईं. लेकिन ये साफ है कि आने वाले दिनों में हार की समीक्षा के कारणों की जब भी चर्चा होगी तब तब आरक्षण वाले बयान पर बीजेपी के अंदर और बाहर चर्चा जरूर होगी.
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