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उदयीमान भगवान सूर्य को अर्घ्‍य देने के साथ संपन्न हुआ महापर्व छठ

पटना. उगते भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही महापर्व छठ का समापन हो गया है। बुधवार सुबह को घने कोहरे के कारण गंगा के घाटों पर भगवान सूर्य के दर्शन नहीं हो सके। कोहरे में ही व्रतियों ने 6 बजकर 5 मिनट से अर्घ्य देना शुरू किया। ठंड और कोहरे की परवाह न करते हुए व्रती करीब 30 से 45 मिनट तक खड़े रहे। शुरू के पंद्रह मिनट तक लोग भगवान सूर्य के दर्शन का इंतजार करते रहे, लेकिन कोहरे के कारण दर्शन न होने पर तय समय के अनुसार लोगों ने अर्घ्य देना शुरू कर दिया।
बिहार सरकार द्वारा किए गए रोशनी के प्रबंध का फायदा दिखा। घने कोहरे के कारण घाट पर अंधेरा हो गया था, लेकिन हैलोजन लाइट से रोशनी बनी रही। शरह के दूर दराज और गांव से आए लोग मंगलवार शाम को अर्घ्य देने के बाद घाट पर ही रुक गए। लोगों ने रात में कोशी भरा और सूर्योदय का इंतजार करते रहे। पूरी रात घाटों पर भक्ति के गीत बजते, जिससे रात कब बीत गया पता ही नहीं चला। दीघा घाट पर दलदल के कारण छठ व्रतियों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास में भी पूरे विधि विधान से उगते सूर्य को अर्घ्य दिया गया। नीतीश इस दौरान मौजूद रहे। नीतीश के बड़े भाई सतीश कुमार की पत्नी गीता देवी, भांजी विभा कुमारी, मुख्यमंत्री की रिश्तेदार रेणु सिन्हा और रेखा देवी ने अर्घ्य दिया।

छठ पर्व के अवसर पर लालू यादव ने फेसबुक पर लिखा है कि यह पर्व इको-फ्रेंडली और समाजवादी सोच का प्रतीक है। इसमें किसी पंडित या पुरोहित की आवश्यकता नहीं होती। छठ में इस्तेमाल होने वाली सभी वस्तुएं और सामग्री नेचुरल होती है। कोई भी ऐसी चीज का इस्तेमाल नहीं होता, जो इको फ्रेंडली न हो। इसमें इस्तेमाल होने वाली प्रत्येक सामग्री हर आय वर्ग के अप्रोच में होती है और यही इसकी विशेषता है। इस महापर्व की एक और खूबी यह है कि इसमें किसी प्रकार की आधुनिकता का भौंडा प्रदर्शन नहीं होता। नदियों और तालाबों में अर्घ्य के बाद जो भी चीजें डाली जाती हैं, वह धीरे-धीरे पानी में गल जाती है और पानी को कोई नुकसान नहीं होता।
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