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AAP ने कहा- भाजपा में शामिल हो जाएं प्रशांत भूषण

आम आदमी पार्टी (आप) ने आज शांति भूषण और प्रशांत भूषण पर पलटवार करते हुए दावा किया कि वे भाजपा के इशारे पर जनलोकपाल विधेयक का विरोध कर रहे हैं और कहा कि प्रस्तावित विधेयक मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा पहले के 49 दिनों के कार्यकाल के दौरान पेश किए गए विधेयक के समान है।

भूषण की आलोचनाओं को खारिज करते हुए दिल्ली के सत्तारूढ़ दल ने कहा कि पिता-पुत्र दोनों को अब भाजपा में शामिल हो जाना चाहिए। भूषण ने भ्रष्टाचार निरोधक विधेयक को महा जोकपाल करार दिया और आरोप लगाए कि प्रावधानों को कमजोर किया गया है और इसे केंद्र को उकसाने के लिए बनाया गया है।
पलटवार करते हुए आप ने अपने प्रवक्ता राघव चड्ढा को मैदान में उतारा जिन्होंने प्रशांत के पिता शांति भूषण के साथ मिलकर जनलोकपाल विधेयक पर गूगल हैंगआउट का आयोजन किया था। अन्ना आंदोलन के दौरान वे मुख्य भूमिका में शामिल रहे थे।

चड्ढा ने कहा, यह वही विधेयक है जिसे आप सरकार ने (अपने 49 दिनों के शासनकाल के दौरान) पेश किया था। प्रशांत जी को कोई दिक्कत नहीं थी जब यही विधेयक आप की पिछली सरकार के दौरान पेश किया गया था।

उन्होंने कहा, उस वक्त उन्होंने कोई मुद्दा क्यों नहीं उठाया अब जब भाजपा सत्ता में है तो वह नहीं चाहते कि लोकपाल केंद्र की जांच करे। उन्हें भाजपा में शामिल हो जाना चाहिए और भाजपा नेता अरूण जेटली और भूषण के बीच जनसंपर्क बनाना चाहिए।
उन्होंने कहा, उन्हें पहले अपनी पार्टी (भाजपा) से कहना चाहिए कि केंद्र में लोकपाल की नियुक्ति करे। उन्होंने कहा कि भूषण ने सबसे पहले दिल्ली एसीबी में तत्कालीन केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली और रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष मुकेश अंबानी के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक मामला दर्ज करने का दबाव बनाया था।

आप की दिल्ली इकाई के सचिव सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली लोकपाल के दायर में केंद्र को लाने का विरोध कर भूषण भाजपा का पक्ष ले रहे हैं।
प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव दोनों आप के संस्थापक सदस्यों में थे और नेतत्व के साथ मतभेद होने के बाद पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। बहरहाल शांति भूषण के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।

प्रशांत भूषण ने केजरीवाल पर लोगों से सबसे बड़ा धोखा करने के आरोप लगाए और कहा कि अन्ना आंदोलन के दौरान जनलोकपाल का जो मसौदा था उसे कमजोर किया गया। वहीं शांतिभूषण ने मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग की।

प्रशांत ने जनलोकपाल विधेयक के कुछ प्रावधानों को पढ़कर सुनाया जिसे दिल्ली सरकार ने अभी तक सार्वजनिक नहीं किया है। उन्होंने दावा किया कि केंद्र के मंत्रियों और अधिकारियों को प्रस्तावित विधेयक के तहत जानबूझकर रखा गया है ताकि केंद्र से संघर्ष को उकसाया जा सके।
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