नागपुर : ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने फिर से दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजों को अपनी उंगलियों की जादूगरी के जाल में फंसाकर सात विकेट लिये जिससे भारत ने आज यहां तीसरा टेस्ट क्रिकेट मैच तीसरे दिन ही 124 रन से जीतकर चार मैचों की श्रृंखला में 2-0 की अजेय बढ़त हासिल की।
दक्षिण अफ्रीका के सामने 310 रन का लक्ष्य था। उसकी टीम ने सुबह दो विकेट पर 32 रन से आगे खेलना शुरू किया लेकिन चाय के विश्राम के बाद 185 रन पर आउट हो गयी। दक्षिण अफ्रीका की धुंधली सी उम्मीद तब जगी थी जब कप्तान हाशिम अमला (39) और फाफ डुप्लेसिस (39) क्रीज पर थे। इन दोनों ने पांचवें विकेट के लिये 72 रन जोड़े जो इस श्रृंखला की सबसे बड़ी साझेदारी भी है।
भारतीय स्पिनरों ने फिर से अपनी बलखाती गेंदों का कहर बरपाया और विशेषकर अश्विन दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजों के लिये अबूझ पहेली बने रहे। उन्होंने 66 रन देकर सात और मैच में 98 रन देकर 12 विकेट लिये। लेग स्पिनर अमित मिश्रा (51 रन देकर तीन विकेट) ने लंच के बाद छह गेंद के अंदर अमला और डुप्लेसिस को आउट करके दक्षिण अफ्रीकी खेमे में लौट रही खुशी को छीना।
मोहाली में पहला टेस्ट 108 रन से जीतने वाले भारत ने चार मैचों की श्रृंखला में 2-0 से अजेय बढ़त हासिल कर ली है। बेंगलुरू में दूसरा मैच बारिश की भेंट चढ़ गया था जबकि चौथा और अंतिम टेस्ट मैच नयी दिल्ली में तीन दिसंबर से खेला जाएगा। यह तीसरा अवसर है जबकि भारत ने दक्षिण अफ्रीका को अपनी सरजमीं पर टेस्ट श्रृंखला में पराजित किया। इससे पहले उसने 1996 में तीन मैचों की श्रृंखला 2-1 से जबकि 2004 में दो मैचों की श्रृंखला 1-0 से जीती थी।
विराट कोहली की कप्तानी में भारत लगातार दूसरी श्रृंखला जीतने में कामयाब रहा। इससे पहले उसने श्रीलंका को उसकी सरजमीं पर 2-1 से हराया था। दक्षिण अफ्रीका ने नौ साल में पहली बार विदेशी सरजमीं पर टेस्ट श्रृंखला गंवायी। इससे पहले वह 2006 में श्रीलंकाई धरती पर श्रृंखला हार गया था। भारतीय धरती पर यह पहला टेस्ट मैच है जिसमें एक भी अर्धशतक नहीं लगा।
दक्षिण अफ्रीका ने सुबह जब शुरूआत की तो वह लक्ष्य से 278 रन पीछे था। पहले तीन ओवर में कोई हलचल नहीं हुई लेकिन इसके बाद एल्गर ने अश्विन को छक्का लगाया। लेकिन जल्द ही अश्विन के चेहरे पर मुस्कान और एल्गर के चेहरे पर मायूसी थी। भारतीय आफ स्पिनर ने दक्षिण अफ्रीकी सलामी बल्लेबाज को सिली प्वाइंट पर चेतेश्वर पुजारा के हाथांे लपकवाया। बल्लेबाज कुछ देर क्रीज पर खड़ा रहा लेकिन बाद में मायूसी के साथ पवेलियन लौट गया।
इसके बाद डिविलियर्स क्रीज पर आये और आते ही जडेजा को चौका लगाया। अश्विन के अगले ओवर में काफी ड्रामा देखने को मिला। डिविलियर्स क्रीज से बाहर निकले लेकिन स्टम्पिंग से बच गए चूंकि उन्होंने हाकी गोलकीपर की तरह अपने पैड से गेंद को रोक दिया था।
अश्विन ने हालांकि कैरम बाल पर उन्हें गच्चा देकर साफ पगबाधा आउट किया। इसके बाद अमला और डुप्लेसिस ने जिम्मा संभाला। इन दोनों ने लंच से एक घंटे पहले क्रीज पर कदम रखा और दूसरे सत्र में दूसरे घंटे तक क्रीज संभाले रखी। उन्होंने लंच के बाद भी एक घंटे तक भारतीय गेंदबाजों को विकेट से महरूम रखा। इस बीच उन्होंने 19 ओवरों में 21 रन बनाये।
डुप्लेसिस को पहले सत्र में एक बार जीवनदान मिला था और दूसरे सत्र के शुरू में अश्विन ने उनके खिलाफ पगबाधा की विश्वसनीय अपील की जिसे अंपायर ने ठुकरा दिया। अश्विन ने पवेलियन छोर से गेंदबाजी करनी शुरू कर दी। उनकी गेंदों में थोड़ी तेजी थी लेकिन बल्लेबाज रक्षात्मक मूड में थे और इसलिए इससे कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
पांच साल पहले इसी मैदान पर 253 रन बनाने वाले अमला ने 219 मिनट तक क्रीज पर बिताये और 167 गेंद खेली तथा इस बीच दो चौके लगाये। डुप्लेसिस ने अपने कप्तान के पवेलियन लौटने से पहले संयम से बल्लेबाजी की थी लेकिन इसके पांच गेंद के बाद वह भी मैदान से बाहर लौट रहे थे। उन्होंने मिश्रा की नीची रहती गेंद पर पुल करने का गलत फैसला किया जो उनका मिडिल स्टंप उखाड़ गयी। इन दो गेंदों ने दक्षिण अफ्रीका की लक्ष्य तक पहुंचने की रही सही उम्मीद भी समाप्त कर दी।
अश्विन ने चाय के विश्राम के बाद बाकी बचे चारों विकेट निकालने में देर नहीं लगायी। जेपी डुमिनी (19) और डेन विलास (12) को एक ओवर में पवेलियन भेजा। डुमिनी उनकी गेंद को नहीं समझ पाये और पगबाधा आउट हुए जबकि आखिरी गेंद विलास के दस्ताने को चूमकर विकेटकीपर के पास पहुंची। यह अश्विन का पारी में पांचवां और मैच में दसवां विकेट था। कैगिसो रबादा को उन्होंने फुललेंग्थ गेंद पर गली में कोहली के हाथों लपकवाया और मोर्ने मोर्कल को बोल्ड करके भारतीय खेमे को जश्न में डुबो दिया।
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