प्रदेश में सूखे को लेकर कलेक्टर गंभीर नहीं हैं. कम बारिश से बर्बाद फसलों पर जिलों से मिले रिपोर्ट को राज्य सरकार ने एक सिरे से खारिज कर दी है.
वहीं, मंत्रियों ने अपने जिलों को सूखाग्रस्त घोषित कराने के लिए जोर लगाना तेज कर दिया है.
मध्यप्रदेश में सूखे के हालातों पर मचे हड़कंप के बाद जिलों से आ रही रिपोर्ट पर बवाल मचा हुआ है. कलेक्टरों की रिपोर्ट पर राज्य शासन ने आपत्ति जता दी है.
कलेक्टरों की रिपोर्ट से नाराज मुख्यमंत्री शिवराज अफसरों को मैदानी सर्वे कर रिपोर्ट देने के कड़े निर्देश दे चुके हैं, लेकिन निर्दशों से बेअसर कलेक्टर सर्वे को लेकर गंभीर नहीं है.
जिलों से मिली रिपोर्ट में कई कलेक्टरों ने बिना मैदानी सर्वे के बड़े पैमाने पर फसलों के प्रभावित होने का आकलन जता कर सरकार को रिपोर्ट भेज दी है. जबकि नुकसान के एवज में मंडियों में आ रहा अनाज कलेक्टरों की सर्वे रिपोर्ट की पोल खोल रहा है.
वहीं, सरकार ने एक बार फिर प्रभावित फसल का बारीकी से परीक्षण करने को कहा है. मुख्यमंत्री शिवराज ने हाल ही में जिन कलेक्टरों को गलत रिपोर्ट पेश करने पर फटकार लगाई है.
उनमें फसल नुकसान पर गलत रिपोर्ट देने पर विदिशा और सागर कलेक्टर शामिल हैं. पानी को लेकर गलत आंकड़े देने वाले कलेक्टरों में खंडवा, बड़वानी, दमोह, नीमच और बैतूल कलेक्टर शामिल हैं.
वहीं, कलेक्टरों की रिपोर्ट पर अब मंत्रियों ने भी सवाल खड़े करना शुरु कर दिए हैं. मंत्रियों का कहना है कि प्रदेश में सूखा प्रभावित तहसीलों संख्या 14 से ज्यादा है.
प्रदेश में इस साल कम बारिश से लगभग बीस लाख हेक्टेयर की फसल प्रभावित हुई है. वहीं, बर्बाद फसल से बिगड़ी किसानों की सेहत को सुधारने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज ने सही सर्वे कर राहत देने का ऐलान किया है.
जबकि सर्वे रिपोर्ट को लेकर कलेक्टरों का लापरवाह रवैया सरकार के लिए मुसीबत बन गया है. ऐसे में सरकार को अब 20 अक्टूबर की डेडलाइन तय की गई है. जब सभी जिलों से रिपोर्ट शासन को मिलेगी.
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