नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आधार कार्ड का इस्तेमाल सीमित करने के अपने पहले के आदेश में संशोधन करके मनरेगा, सभी पेन्शन योजनाओं, भविष्य निधि और राजग सरकार की प्रधानमंत्री जनधन योजना सहित अन्य कल्याणकारी योजनाओं में इसके स्वैच्छिक इस्तेमाल की अनुमति दे दी।
प्रधान न्यायाधीश एच.एल. दत्तू की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इसकी अनुमति देते हुये अपने अंतरिम आदेश में कहा, ‘हम यह स्पष्ट करते हैं कि आधार कार्ड योजना इस न्यायालय द्वारा अंतिम रूप से निर्णय लिये जाने तक विशुद्ध रूप से स्वैच्छिक है और अनिवार्य नहीं है।’ समाज के निर्धनतम वर्ग तक पहुंचने के इरादे से बनायी गयी ये सामाजिक कल्याण योजनायें सार्वजनिक वितरण प्रणाली और रसोई गैस योजनाओं के अतिरिक्त हैं जिनमें शीर्ष अदालत ने स्वैच्छा से आधार कार्ड के इस्तेमाल की अनुमति दी थी।
संविधान पीठ ने रसोई गैस और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के साथ चार अन्य योजनाओं में आधार कार्ड के इस्तेमाल की अनुमति देते हुये कहा कि इस न्यायालय द्वारा केन्द्र सरकार को 23 सितंबर, 2013 से दिये अन्य सभी आदेशों का पालन करना होगा।
संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एम वाई इकबाल, न्यायमूर्ति सी नागप्पन, न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति अमिताव राय शामिल हैं। न्यायालय ने कहा कि संविधान पीठ का गठन सिर्फ केन्द्र और रिजर्व बैंक, सेबी, इरडा, ट्राई, पेन्शन कोष नियामक प्राधिकरण और गुजरात तथा झारखण्ड जैसे राज्यों के आवेदनों पर निर्णय करने के लिये ही किया गया था। इन आवेदनों में न्यायालय के 11 अगस्त के आदेश में संशोधन का अनुरोध किया गया था।
पीठ ने कहा कि इन याचिकाओं का अंतिम रूप से निस्तारण करने के लिये वृहद पीठ का गठन करना होगा। इन याचिकाओं में अन्य सवालों के साथ यह सवाल भी शामिल है कि क्या निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है।
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