स्मार्ट सिटी से पहले मध्यप्रदेश सरकार ने अपने दफ्तरों को स्मार्ट बनाने की तैयारी कर ली है. इसके पहले तरण में कुछ चुनिंदा सरकारी दफ्तरों को कार्पोरेट लुक देने की तैयारी है.
साथ ही सरकार अपने अधिकारी-कर्मचारियों को निजी कंपनी की तरह आम लोगों से अच्छे बर्ताव की ट्रेनिंग भी देगी.
सरकारी दफ्तरों का नाम लेते ही आज भी लोगों के जहन में जगह-जगह लगा फाइलों का ढ़ेर, बेतरतीब फर्नीचर और गंदगी के अलावा टूटू-फूटी इमारत की तस्वीर उभर कर सामने आ जाती है, लेकिन अब ये सब गुजरे जमाने की बात होने वाली है.
यदि मध्यप्रदेश सरकार की तयशुदा योजना पर अमल हुआ तो अब सरकारी दफ्तर भी कार्पोरट रंग में रंगे नजर आएंगे. हाईटेक हो रही एमपी सरकार ने अपनी सरकारी दफ्तरों का चेहरा बदलने की तैयारी कर ली है.
पहले चरण में कुछ खास सरकारी दफ्तरों को नये लुक के साथ नये अंदाज में ढालने की तैयारी कर ली है. स्मार्ट दफ्तर बनाने लिए सरकार जिन बातों पर फोकस होगा उनमें
- दफ्तर को स्वच्छ रखना- अधिकारी-कर्मचारियों के लिए आचार संहिता तय होना
- कर्मचारियों को जवाबदेह बनाना- अधिकारी-कर्मचारियों की उपस्थिति अनिवार्य होना
- बोलचाल की भाषा काम कराने वाले को प्रभावित करने वाली होगी- फाइल निपटाने की समय सीमा तय होगी- दफ्तर कमप्यूटराइज़्ड होगा- ऑनलाइन आवेदन करने की सुविधा मिलेगी- ऑनलाइन सेवा देने की कोशिश होगी- पूरा काम पारदर्शी तरीके से होगा- अधिकारी-कर्मचारियों के लिए आई कार्ड अनिवार्य होगा राज्य सरकार ने इसके लिए कर्मचारी संगठनों से भी सुझाव मांगा है ताकि काम को और बेहतर तरीके से निपटाया जा सके.गौरतलब है कि सरकार स्मार्ट सिटी से लेकर स्मार्ट विलेज बनाने के लिए काम कर रही है.
शहरों से लेकर गांव तक सुविधा और सेवाओं को बढ़ाने जाने पर जोर दिया जा रहा है. लेकिन सरकार की कोशिश अब इस पर है कि सरकारी दफ्तरों को भी स्मार्ट बनाया जाए.
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