उज्जैन. अध्यक्ष सिंहस्थ मेला प्राधिकरण दिवाकर नातू ने कहा कि इस बार आसाराम जी को सिंहस्थ मेला में जमीन नहीं दी जायेगी. पिछले सिंहस्थ के रिकॉर्ड के आधार पर जमीन का आवंटन होगा .किसी भी नई संस्था को मेला क्षेत्र में जमीन नहीं दी जाएगी . पिछली बार (2004) आसाराम के अनुयायियों ने चिंतामन मार्ग पर किसानों को सीधे मुआवजा देकर निजी जमीन ली थी. इस जमीन को प्रशासन ने इस बार अधिग्रहित कर लिया है. यह जमीन भी अब आसाराम ट्रस्ट के पास नहीं होगी. प्रशासन का कहना है कि मेला क्षेत्र के बाहर कोई भी संत अपने खर्च पर शिविर लगा सकता है. मूलभूत सुविधाएं नहीं उपलब्ध कराई जाएंगी.
मेला प्रशासन का कहना है कि 2004 के सिंहस्थ में आसाराम ने किसानों की निजी भूमि ली थी. किसानों को शासन द्वारा तय की गई राशि का भुगतान किया था. स्थानीय आश्रम के अध्यक्ष देवेंद्र शर्मा ने बताया कि चिंतामन रोड पर लल्लूसिंह चौहान, नारायण सिंह ठाकुर एवं एक अन्य किसान से 27 बीघा जमीन ली थी. जमीन पर पूरे माह सत्संग, भंडारा और कीर्तन के साथ प्रवचन हुए थे. जानकारी के मुताबिक पिछले सिंहस्थ में लगाए गए शिविर स्थल की जमीन को प्रशासन ने अधिग्रहित कर लिया है. प्रशासन इसे दूसरी संस्था को आवंटित करने जा रहा है.
सुविधा नहीं मिली तो हम जुटा लेंगे : अनुयायी
आसाराम गुरुकुल आश्रम के अध्यक्ष देवेन्द्र शर्मा ने कहा कि बापू जेल से छूटें या न छूटें शिविर तो लगेगा. पिछले सिंहस्थ में आसाराम के शिविर में पानी, बिजली और पहुंच मार्ग की व्यवस्था मेला प्रशासन ने की थी. अफसरों का कहना है कि इस बार प्रशासन निजी भूमि पर लगने वाले शिविर में कोई भी सुविधा नहीं उपलब्ध कराएगा. दूसरी तरफ आसाराम के समर्थकों का कहना है कि जमीन आवंटन के लिए जल्द अहमदाबाद से संस्था के लोग आकर आवेदन देंगे. मेला प्रशासन से कार्यक्रम के लिए दस एकड़ जमीन की मांग की जाएगी. प्रशासन सुविधाएं मुहैया करा दे तो ठीक, नहीं तो निजी खर्चे पर सारा काम कराया जाएगा.
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