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गाय बेचने वालों पर फासिस्टों का कहर क्यों नहीं टूटता: आज़म

लखनऊ: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आज़म ख़ाँ ने दादरी हत्या के बाद एक और हत्या की कड़े शब्दों में निन्दा की है और हरियाणा तथा पंजाब की सरकार से अपील की है कि उनके यहाँ पशु बाज़ारों में प्रतिबन्धित पशुओं का मेला लगाने और उन्हें बेचने पर भी पाबन्दी लगायी जाये। साथ ही यह सवाल भी किया है कि प्रतिबन्धित पशुओं को बेचने वालों पर भी फासिस्टों का ऐसा क़़हर क्यों नहीं टूटा जैसा प्रतिबन्धित तथा अप्रतिबन्धित पशुओं को ले जाने वालों को ढूंढ-ढूंढकर हत्या करने का जघन्य अपराध किया जा रहा है। काश इन पशुओं को बेचने वालों को भी और सरकारों को भी अपने कुकर्म पर शर्म आती।
आज़म ने अपने बयान में कहा कि देश अराजकता की तरफ बड़ी तेज़़ी से बढ़ रहा है और मात्र गाय के नाम पर आर.एस.एस. के समाचार-पत्र पाञ्चजन्य में जो लेख लिखा गया है उससे आर.एस.एस. की नीति बिल्कुल साफ़ हो गयी है। उनके शब्दों में भारत एक अघोषित हिन्दू राष्ट्र है और हिन्दुओं की आस्था को किसी भी प्रकार से ठेस पहुंचाने वालों का अन्जाम यही होगा कि उन्हें अपनी जान गंवानी होगी। इस विभाजनकारी मानसिकता से यह बात स्पष्ट हो जाती है कि आज के हालात में देश का कानून और व्यवस्था उन्हीं लोगों के हाथ में है जिनके हाथों में लाठी, डण्डा और तलवारें हैं।
आज़म ने कहा अगर इस प्रकार की घटनाओं को नहीं रोका गया और देश के प्रधानमंत्री ने अपनी वैचारिक धारणा को अमली जामा पहनाने वाले कार्यकर्ताओं को नहीं रोका तो हम दुनिया को मुँह दिखाने के क़ाबिल नहीं रहेंगे। जो लोग यह समझते हैं कि भारत को छोड़कर शेष विश्व के प्रति हमारी कोई जवाबदेही नहीं है वे आदिकाल के लोग है जिनका सभ्य समाज से कोई रिश्ता नहीं हो सकता।
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