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क्‍या आप जानते हैं गुरुवार को बाल क्‍यूं नहीं धोते लोग

बड़े-बुजुर्गों को आपने अक्‍सर कहते हुए सुना होगा कि आज सिर मत धुलना, गुरुवार है। समय बदला, तरीका 
बदला, सोच बदली, लेकिन आज भी गुरूवार को बाल धुलने से पहले एक बार विचार मन में कर ही लेते हैं। ये बातें हमारे पूर्वजों के द्वारा यूं नहीं कही जाती हैं।

 हिंदू धर्म में वृहस्‍पतिवार को सबसे पवित्र दिन माना जाता है। यह दिन भगवान विष्‍णु को समर्पित होता है। वृहस्‍पति देव की आराधना करने के कारण इसे वृहस्‍पतिवार या गुरूवार कहा जाता है। इस दिन पूजा करके लोग अपने लोगों के स्‍वास्‍थ्‍य और सुख की कामना करते हैं। इस दिन सिर न धुलने के बारे में 
एक कथा है। एक बार की बात है, एक अमीर व्‍यवसायी और उसकी पत्‍नी रहते थे। वो दोनों बहुत खुश थे और सम्‍पन्‍न जीवन व्‍यतीत कर रहे थे।
 पत्‍नी, घरेलू स्‍त्री थी और बेहद कंजूस थी। उसे दान देना पसंद नहीं था। एक बार एक एक भिक्षुक ने उससे कुछ खाने को मांगा, जब उसके पति घर पर नहीं थे। लेकिन महिला ने उत्‍तर दिया कि वो अभी घरेलू कामों में व्‍यस्‍त है, वो बाद में आएं।
  इस तरह वह भिक्षुक कई दिन तक अलग-अलग समय पर आता रहा, लेकिन हर बार महिला इसी तरह उसे 
मना कर देती थी, कि वह घर के कामों में व्‍यस्‍त है। एक दिन भिखारी ने महिला से पूछा कि वह कब खाली 
समय में रहती है, जब भोजन दे सकें, तो महिला को क्रोध आ गया, वो खिसिया गई और उससे बोली कि पहले अपनी ओर देखो, मैं कभी खाली नहीं रहूंगी।
 तब उस भिखारी ने कहा कि वृहस्‍पतिवार को सिर धुल लेना, तुम हमेशा के लिए खाली हो जाओगी।
 औरत ने भिखारी की बात को हंसी में उड़ा दिया और रोज की तरह बाल धुलती रही। उसने आदत के मुताबिक, वृहस्‍पतिवार को भी बाल धुल लिए। फिर क्‍या, उस महिला के घर सारा धन बर्बाद हो गया और सारी खुशियां 

चली गई। वो दोनों सड़क पर आ गए। अब वो दोनों पति-पत्‍नी रोटी के एक-एक टुकड़े के लिए तरसने लगे। फिर से वह भिखारी उसे महिला को मिला। तो महिला ने अपना हाल उसे बताया। नागा साधु क्‍यूं नहीं पहनते 

हैं कपडे़? बाद में, उस दम्‍पती को एहसास हुआ कि वह भगवान वृहस्‍पति का रूप था, जो भिखारी का वेश 
धारण करके भिक्षा मांगने आते थे। उस दिन से औरत ने वृहस्‍पतिवार के दिन बालों को धुलना बंद कर दिया 
और भगवान वृहस्‍पति की पूजा करनी शुरू कर दी।

 उन्‍हे पीले रंग के फूल और भोजन चढ़ाने लगी। धीमे-धीमे वह लोग फिर से खुशहाल हो गए। अन्‍य विश्‍वास: अन्‍य मान्‍यता के अनुसार, वृहस्‍पतिवार, भगवान विष्‍णु और माता महालक्ष्‍मी की पूजा करने के लिए पवित्र दिन होता है। इस दिन बाल धुलने से उनका आर्शीवाद प्राप्‍त नहीं होता है और धर में सम्‍पन्‍नता नहीं आती है।

 निष्‍कर्ष: गुरूवार को बालों को धुलने के लिए हर कोई मना करता है, वैसे भी आप सप्‍ताह में हर दिन बालों को नहीं धुलती हैं, तो ऐसा शेड्यूल बनाएं कि आपको गुरूवार को बाल न धुलना पड़े। इससे आपकी बात भी रह जाएगी और आपकी श्रद्धा भी रह जाएगी। हिंदू धर्म में बालों को धुलने के लिए रविवार सबसे अच्‍छा दिन माना जाता है। इस दिन किसी प्रकार की कहानी या मान्‍यता नहीं है। गुरूवार, शुक्रवार और शनिवार को बाल धुलना, हिंदू धर्म में मान्‍य नहीं है।

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