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राज्य औद्योगिक भूमि एवं भवन प्रबंधन अधिनियम -2015 में संशोधन की मांग

गोविन्दपुरा  इंडस्ट्रीज  एसोसिएशन ,भोपाल ने राज्य शासन द्वारा लागू राज्य औद्योगिक भूमि एवं भवन प्रबंधन अधिनियम -2015 को विसंगतिपूर्ण बताते हुए इसे  संशोधित  करने की मांग की है ।
एसो.के अध्यक्ष   मुकेश  सचदेवा एवं सचिव पंकज बिंद्रा ने कहा कि उक्त अधिनियम मे उधोगो को सस्ती जमीन मुहैया करने के नाम पर नए कर लाद दिए गए है । अधिनियम मे जमीन आवंटन को कलेक्टर गाइड लाइन से जोडा गया है । यह क्लाॅज गोविन्दपुरा औद्योगिक क्षेत्र के लिये तो  अभिशाप बन गया है । दर असल अधिनियम में असिंचित क्षेत्र एवं पूर्व से  विकसित औद्योगिक क्षेत्र का वर्गीकरण नही किया गया । गोविन्दपुरा औद्योगिक क्षेत्र में असिंचित भूमि है ही नही.  उन्होंने कहा कि   इस  तरह के सभी पूर्व विकसित औद्योगिक क्षेत्रों को अधिनियम से बाहर रखा जाना चाहिए था लेकिन अधिनियम तैयार करते वक्त इन तकनीकी पहुलओं का ध्यान ही नहीं रखा गया न अधिनियम बनाने से पहले उद्यमियों से इस बारे में चर्चा ही की गई.
28 सौ परसेंट  तक की बढोत्तरी
 उन्होंने कहा कि नए अधिनियम में  गोविन्दपुरा औद्योगिक क्षेत्र को कलेक्टर गाइड लाइन के साथ जोड़े जाने से  इस क्षेत्र के भूखंड, लीज ,विकास व संधारण  आदि मदों के शुल्क  मे 28 सौ परसेंट  तक की बढोत्तरी हो गई है । कलेक्टर गाइड लाइन मे गोविन्दपुरा औद्योगिक क्षेत्र की दर करीब दस करोड रूपए प्रति हेक्टेयर है।  अधिनियम के लिहाज से  औद्योगिक क्षेत्र गोविन्दपुरा में भूखंड की दर 22.30 प्रति वर्गफीट से  बढकर क्रमश: 156.20  एवं 312.40 रूप्ए प्रति वर्गफीट (700 से 14 सौ परसेंट  ) संधारण शुल्क 0.44से बढकर 0.93 रू प्रति वर्गफीट ( 211परसेंट  ) तथा  भू भाटक (लीज रेंट) शुल्क  0.22 से बढकर 3.12 तथा 6.25 रू प्रति वर्ग फीट अर्थात (1418 से 2841 परसेंट  ) हो गया है 
 रहेगी अनिश्चितता 
उन्होने कहा कि औद्योगिक क्षेत्र मे भूखंड की दरें कलेक्टर दरों पर आधारित कर दी गई है। यह देश मे इस प्रकार का पहला उदाहरण है। जिससे दरों मे हर वर्ष वृद्धि होगी व उद्योगपति को अनिश्चितता  रहेगी।एक ओर शासन  द्वारा प्रचारित किया जा रहा है कि  उद्योगों को  जमीन देने में 90 प्रतिशत की छूट दी जा रही है जबकि वास्तविकता इसके विपरीत है ।यह कैसी उद्योग नीति है जिसमे लगभग 1100 चलते हुऐ उद्योगो, जिनमे लगभग 30,000 कर्मचारी कार्यरत है उनके समक्ष अस्तित्व का संकट खडा हो गया है। क्या  इस तरह के  नियम प्रदेश  मे औद्योगीकरण के प्रसार मे बाधा उत्पन्न नही करेंगें ?
संशोधित करें
उन्होने कहा कि उक्त अधिनियम को विधान सभा के अगले सत्र मे संशोधित  कर शहरी  क्षेत्र मे पूर्व से विकसित सभी औद्योगिक क्षेत्रो को इससे मुक्त रखा जाए। अधिनियम में संशोधन  से पहले सरकार  उद्योगपतियों से भी  चर्चा करें।
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