नई दिल्ली। डेंगू को लेकर लोगों में काफी भ्रम है, इस बीमारी का नाम
सुनते ही लोगों की पेशानियां चढ़ जाती हैं। आमतौर पर लोग समझते हैं कि
डेंगू में मौत प्लेटलेट्स की कमी के कारण होती है लेकिन यह धारणा गलत है।
जानिए डेंगू के बारे में: लक्षण और बचाव के तरीके
इंटरनेशनल मेडिकल एसो. के मुताबिक अगर डेंगू के मरीज का प्लेटलेट्स
काउंट 10,000 से ज्यादा हो तो प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन की जरूरत नहीं होती
और ना ही यह खतरे का संकेत है।
अगर डेंगू के मरीज का प्लेटलेट्स काउंट 10,000 से ज्यादा हो तो
प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन की जरूरत नहीं होती।
दरअसल डेंगू के मरीज तब मरते हैं जब कैपिलरी लीकेज शुरू होता है।
लीकेज की हालत में इंट्रावैस्कुलर कंपार्टमेंट में खून की कमी हो जाती
है और कई सारे अंग काम करना बंद कर देते हैं।
जिसके कारण मरीज मौत का शिकार होता है।
इसलिए अगर प्लेटलेट्स कम हो रहे हों तो इसका मतलब यह नहीं इंसान मौत का
शिकार हो सकता है।
अगर मरीज को कैपिलरी लीकेज शुरू होती है तो मरीज को शरीर के प्रति किलो
वजन के हिसाब से 20 मिलीलीटर प्रति घंटा फ्लुएड रिप्लेसमेंट करते रहना
चाहिए।
यह तब तक करते रहना चाहिए, जब तक उच्च और निम्न ब्लड प्रेशर का अंतर 40
से ज्यादा न हो जाए या मरीज उचित तरीके से यूरिन करने लगे।
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