अमेरिका ने भारत से कारोबार करने की सुगमता पर जोर के साथ आर्थिक सुधारों की रफ्तार तेज करने को कहा.
अमेरिकी उपराष्ट्रपति जो बाइडेन ने बौद्धिक संपदा अधिकारों की रक्षा के लिये और कदम उठाने तथा अंतरराष्ट्रीय व्यापार के साझा नियमों के तहत व्यापार को और उदार बनाने की जरूरत पर बल दिया.
भारत अमेरिका रणनीतिक एवं वाणिज्यिक वार्ता की पहली कड़ी को ‘नये युग’ की शुरूआत करार देते हुए बाइडेन ने जलवायु परिवर्तन के मामले में परस्पर सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया और कहा कि इससे दुनिया के दो बड़े लोकतांत्रिक देशों के आर्थिक वृद्धि के नये युग की शुरूआत हो सकती है.
इस वार्ता में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमन भारत का प्रतिनिधित्व कर रही हैं.
बाइडन ने भारत अमेरिका व्यापार परिषद (यूएसआईबीसी) के 40वें सत्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय व्यापार के नियमों का वैश्विक स्तर पर अनुपालन किया जा रहा है. इसीलिए हमें बौद्धिक संपदा के संरक्षण के लिये और सुधारों की जरूरत है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमें विदेशी निवेश के मामले में सीमा को उदार बनाना है और कंपनियों के लिये अपने उत्पादों एवं सेवाओं को बाजार में बेचने के लिये चीजों को सुगम बनाना है. मेरी विनम्र राय है कि द्विपक्षीय व्यापार ज्यादा-से-ज्यादा हो...इस बारे में भारत को निर्णय करना है. यह दोनों देशों के हित में है. और यह तभी हो सकता है जब हम अंतरराष्ट्रीय व्यापार के साझा नियमों के साथ व्यापार को लगातार उदार बनाये.’’
अमेरिकी उपराष्ट्रपति जो बाइडेन ने बौद्धिक संपदा अधिकारों की रक्षा के लिये और कदम उठाने तथा अंतरराष्ट्रीय व्यापार के साझा नियमों के तहत व्यापार को और उदार बनाने की जरूरत पर बल दिया.
भारत अमेरिका रणनीतिक एवं वाणिज्यिक वार्ता की पहली कड़ी को ‘नये युग’ की शुरूआत करार देते हुए बाइडेन ने जलवायु परिवर्तन के मामले में परस्पर सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया और कहा कि इससे दुनिया के दो बड़े लोकतांत्रिक देशों के आर्थिक वृद्धि के नये युग की शुरूआत हो सकती है.
इस वार्ता में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमन भारत का प्रतिनिधित्व कर रही हैं.
बाइडन ने भारत अमेरिका व्यापार परिषद (यूएसआईबीसी) के 40वें सत्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय व्यापार के नियमों का वैश्विक स्तर पर अनुपालन किया जा रहा है. इसीलिए हमें बौद्धिक संपदा के संरक्षण के लिये और सुधारों की जरूरत है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमें विदेशी निवेश के मामले में सीमा को उदार बनाना है और कंपनियों के लिये अपने उत्पादों एवं सेवाओं को बाजार में बेचने के लिये चीजों को सुगम बनाना है. मेरी विनम्र राय है कि द्विपक्षीय व्यापार ज्यादा-से-ज्यादा हो...इस बारे में भारत को निर्णय करना है. यह दोनों देशों के हित में है. और यह तभी हो सकता है जब हम अंतरराष्ट्रीय व्यापार के साझा नियमों के साथ व्यापार को लगातार उदार बनाये.’’
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