कॉल ड्रॉप की बढ़ती समस्या के बीच भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण
(ट्राई) ने मुआवजे का खाका तैयार कर लिया है. ट्राई ने प्रस्ताव रखा है कि
सर्विस प्रोवाइडर को कॉल ड्रॉप और सेवाओं की खराब गुणवत्ता के लिए मोबाइल
ग्राहकों को मुआवजा देना चाहिए. उपभोक्ताओं को किस तरह से मुआवजा मिलना
चाहिए, ट्राई ने इसके लिए एक प्रक्रिया भी सुझाई है.
ट्राई ने शुक्रवार को इस बारे में परिचर्चा पत्र जारी कर सार्वजनिक टिप्पणियां मांगी हैं. परिचर्चा पत्र में कहा गया है, ‘ऐसा लगता है कि कॉल ड्रॉप के खिलाफ उपभोक्ताओं को राहत के उपाय तभी प्रभावी होंगे जबकि ये उपभोक्ताओं तक पहुंचें. इन उपायों के तहत कॉल बीच में कटने पर उपभोक्ताओं से उसका शुल्क नहीं लेना, या फिर उनके खातों में टॉक टाइम या राशि डालना शामिल है.’नियामक का प्रस्ताव है कि कोई भी कॉल जो पांच सेकेंड में कट जाती है उस पर शुल्क नहीं लगना चाहिए. यदि कॉल पांच सेकेंड के बाद किसी समय कटती है, तो शुल्क लगाने के लिए कॉल की आखिरी पल्स को शामिल नहीं किया जाना चाहिए. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में कॉल ड्रॉप की समस्या पर चिंता जताई थी.
ट्राई के चेयरमैन आर.एस. शर्मा ने कहा, ‘उपभोक्ता कॉल ड्रॉप की समस्या का सामना कर रहे हैं
. ऐसे में उन्हें सीधे इसकी भरपाई होनी चाहिए.’ फिलहाल दूरसंचार नियामक
सेवाओं की गुणवत्ता बेंचमार्क से कम रहने पर दूरसंचार आपरेटरों पर जुर्माना
लगाता है. नियमों के तहत एक दूरसंचार सेवा क्षेत्र में सभी कॉल्स पर कॉल
ड्रॉप दो प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए.
नियामक की एक रिपोर्ट के अनुसार व्यस्त समय में कॉल ड्राप की समस्या पिछले एक साल के दौरान करीब करीब दोगुनी हो गई. नियामक ने परिचर्चा पत्र पर सुझाव अथवा टिप्पणी के लिये 28 सितंबर तक का समय दिया है.
ट्राई ने शुक्रवार को इस बारे में परिचर्चा पत्र जारी कर सार्वजनिक टिप्पणियां मांगी हैं. परिचर्चा पत्र में कहा गया है, ‘ऐसा लगता है कि कॉल ड्रॉप के खिलाफ उपभोक्ताओं को राहत के उपाय तभी प्रभावी होंगे जबकि ये उपभोक्ताओं तक पहुंचें. इन उपायों के तहत कॉल बीच में कटने पर उपभोक्ताओं से उसका शुल्क नहीं लेना, या फिर उनके खातों में टॉक टाइम या राशि डालना शामिल है.’नियामक का प्रस्ताव है कि कोई भी कॉल जो पांच सेकेंड में कट जाती है उस पर शुल्क नहीं लगना चाहिए. यदि कॉल पांच सेकेंड के बाद किसी समय कटती है, तो शुल्क लगाने के लिए कॉल की आखिरी पल्स को शामिल नहीं किया जाना चाहिए. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में कॉल ड्रॉप की समस्या पर चिंता जताई थी.
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नियामक की एक रिपोर्ट के अनुसार व्यस्त समय में कॉल ड्राप की समस्या पिछले एक साल के दौरान करीब करीब दोगुनी हो गई. नियामक ने परिचर्चा पत्र पर सुझाव अथवा टिप्पणी के लिये 28 सितंबर तक का समय दिया है.
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