बिहार चुनाव से पहले तेजस्वी यादव का वार
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। इस मुद्दे पर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav)ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए तीखा हमला बोला है। तेजस्वी ने कहा, "चुनाव आयोग एक राजनीतिक दल का अंग बन गया है। क्या गुजरात के दो लोग तय करेंगे कि कौन बिहारी मतदाता वोट दे सकता है और कौन नहीं?"
बिहार बंद और विरोध प्रदर्शन
वोटर लिस्ट संशोधन के विरोध में विपक्षी महागठबंधन ने 9 जुलाई को 'बिहार बंद' का ऐलान किया, जिसके तहत राज्य के विभिन्न जिलों में विरोध प्रदर्शन देखे गए। पटना में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर उतरकर सड़क जाम की और नारेबाजी की। एक कार्यकर्ता ने कहा, "जब तक सरकार हमारी मांगें नहीं मानती, हम विरोध जारी रखेंगे। सत्ताधारी दल जनता को भ्रमित कर रहा है।" तेजस्वी ने आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया से गरीब और वंचित वर्गों के मतदाताओं के नाम हटाए जा रहे हैं, जिससे उनकी पेंशन और राशन जैसी सुविधाएं भी छिन सकती हैं।
'वोटबंदी' और दस्तावेजों का मुद्दा
तेजस्वी ने मतदाता सूची संशोधन को 'वोटबंदी' करार देते हुए कहा कि आधार कार्ड और मनरेगा कार्ड जैसे दस्तावेजों को मान्य नहीं किया जा रहा, जिससे लाखों बिहारियों, खासकर प्रवासी मजदूरों, को वोट देने से वंचित किया जा सकता है। उन्होंने सवाल उठाया, "बिहार के वे लाखों मजदूर जो गुजरात, दिल्ली, पंजाब में काम करते हैं, क्या वे 18 दिन में लौटकर अपने नाम जुड़वा पाएंगे?" तेजस्वी ने यह भी खुलासा किया कि उनकी पत्नी, जो हाल ही में बिहार की वोटर बनी हैं, का नाम भी वोटर लिस्ट से हटने का खतरा है, क्योंकि उनके पास जन्मस्थान से संबंधित दस्तावेज नहीं हैं।
तेजस्वी का तंज
चुनाव आयोग एक राजनीतिक दल का अंग बन गया है…क्या गुजरात के दो लोग तय करेंगे कि कौन बिहारी मतदाता वोट दे सकता है और कौन नहीं?" उन्होंने कहा, "चुनाव आयोग अपनी विश्वसनीयता खो चुका है। मतदाता सूची से गरीब लोगों के नाम हटाने की बड़े पैमाने पर तैयारी चल रही है। पहले उनके नाम हटाए जा रहे हैं, फिर उनकी पेंशन और राशन भी छीन लिया जाएगा।
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