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पंचायत और एसडीएम को सौंपी गई खुले बोरवेल बंद कराने की जिम्मेदारी

 पंचायत और एसडीएम को सौंपी गई खुले बोरवेल बंद कराने की जिम्मेदारी

भोपाल। जिले में बोरवेल खुले छोड़ने को लेकर दिसंबर 2023 में आदेश जारी किए गए थे, लेकिन कार्रवाई अब तक एक पर भी नहीं की गई है। जबकि राजधानी के आसपास दर्जन ट्यूबवेल खुले पड़े हैं। उन्हें नहीं ढांकने की वजह से हादसे होने का खतरा बना रहता है। कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह का कहना है कि बोरवेल खुला छोड़ने पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। पिछले दिनों बोरवेल में बच्चों के गिरने की घटनाओं में वृद्धि हुई है, जिसे लेकर अब सरकार भी गंभीर है। इस क्रम में जिला प्रशासन ने उपयोग में नहीं आने वाले बोरवेल को ढंकने के सख्त आदेश दिए हैं साथ ही संबंधित अधिकारियों को मॉनिटरिंग के निर्देश भी दिए हैं।



बोरवेल खुले छोड़ने पर होगी एफआईआर


खुला नलकूप या बोरवेल छोड़ने से उनमें बच्चों के गिरने की घटनाओं की रोकथाम के लिए बोरवेल बंद कराया जाएगा। इसे बंद करने की जिम्मेदारी भू-स्वामी या खनन करने वाले की होगी। बोर खुला छोड़ने पर एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।   कौशलेंद्र विक्रम सिंह, कलेक्टर


 किसानों या संस्थाओं को क्या करना होगा?


कलेक्टर ने अपने आदेश में कहा कि जिन मकान मालिकों, किसानों या संस्थाओं ने बोरवेल खुदवाया है और उसका उपयोग नहीं हो रहा है या उसमें मोटर नहीं डाली है और वे खुले पड़े हैं तो उसे तत्काल बंद करें, उस पर लोहे की कैप लगवाएं। कैप नट बोल्ट से कसा होना चाहिए।


पोर्टल पर दर्ज नहीं की जानकारी


तत्कालीन कलेक्टर आशीष सिंह ने पीएचई के कार्यपालन यंत्री को एक पोर्टल विकसित करने के निर्देश दिए थे, जिसमें जिला पंचायत, जनपद पंचायत, ग्राम पंचायत और नगर पालिक निगम, नगरीय निकाय द्वारा खोदे जाने वाले नए नलकूप (बोरवेल) की पूरी जानकारी जिसमें उसका पंजीयन, मशीन के पंजीयन की जानकारी, ठेकेदार की जानकारी और बंद पड़े, खराब पड़े बोरवेल की पूरी जानकारी अपलोड की जानी थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

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