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धरातल पर उतरने लगी औद्योगिक इकाइयां, रीजनल इंडस्ट्रीज कॉनक्लेव का दिखने लगा असर

धरातल पर उतरने लगी औद्योगिक इकाइयां, रीजनल इंडस्ट्रीज कॉनक्लेव का दिखने लगा असर

भोपाल । मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेशभर में एक समान औद्योगिक विकास के माध्यम से रोजगार बढ़ाने के लिए रीजनल इंडस्ट्रीज कॉनक्लेव का जो फॉर्मूला बनाया है उसके परिणाम धरातल पर दिखने लगे हैं। प्रदेश में पिछले 10 महीने के भीतर 6 संभागीय मुख्यालयों पर हुई रीजनल इंडस्ट्रीज कॉनक्लेव में निवेशकों ने करोड़ों के निवेश प्रस्ताव दिए थे। इनमें से 259 औद्योगिक इकाईयों ने मप्र में स्थापना का काम शुरू कर दिया है। इन इकाईयों से प्रदेश में 18 हजार 197 करोड़ रुपए का निवेश आएगा और 32 हजार 905 लोगों को रोजगार मिलेगा। कई इकाईयों का लोकार्पण भी हो चुका है।


मप्र में औद्योगिक विस्तार के लिए नीतियों को सरल बनाया गया है उससे देश-दुनिया के निवेशकों के लिए मप्र पहला पसंदीदा प्रदेश बन गया है। यही वजह है कि 1 मार्च 2024 से लेकर दिसंबर तक के 10 महीनों में मप्र को देश-दुनिया से 3.85 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। यह इस बात का संकेत है कि मप्र सरकार ने प्रदेश को इंडस्ट्रियल हब बनाने के लिए किस प्रकार तत्पर है। सरकार की कोशिश उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ हमारी व्यवस्थाओं के बलबूते पर आईटी, टूरिज्म, खनन, उर्जा सहित सभी सेक्टर में गतिविधियों के विस्तार की है।  रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव प्रदेश में कार्य संस्कृती बदलने का प्रयास है। यह कॉन्क्लेव प्रदेश के औद्योगिक विकास के लिए राज्य शासन की प्रतिबद्धता की अभिव्यक्ति है। सरकार का मानना है कि उद्योग केवल उद्योगपति के लिए नहीं होता अपितु जहां भी उद्योग लगेगा, वहां रोजगार के अवसर सृजित होंगे, राज्य सरकार को राजस्व मिलेगा और देश-दुनिया में हमारे राज्य की साख बनेगी। सरकार प्रदेश में निवेश आमंत्रित करने और औद्योगिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस कारण 1 मार्च 2024 से लेकर दिसंबर तक के 10 महीनों में मप्र को देश-दुनिया से 3.85 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। यानी निवेशकों ने मप्र में हर महीने औसतन 38500 करोड़ के निवेश प्रस्ताव दिए हैं।

कॉन्क्लेव के दौरान ही भूमि आवंटित

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में वर्ष 2024 में प्रदेश के 6 संभागों उज्जैन, जबलपुर, ग्वालियर, सागर, रीवा और नर्मदापुरम में रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव आयोजित किए गए। नई औद्योगिक इकाइयों से प्रदेश में रोजगार, विकास और समृद्धि का रास्ता खुलेगा और जीवन स्तर में सुधार आएगा। अधिकांश निवेशकों को कॉन्क्लेव के दौरान ही भूमि आवंटित कर दी गई थी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव का कहना है कि रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव से न केवल बड़े शहरों में अपितु कस्बों और गांवों तक औद्योगिक निवेश का लाभ पहुँचेगा। उज्जैन, नर्मदापुरम, जबलपुर, ग्वालियर, रीवा और सागर जैसे क्षेत्रों में हुए निवेश से क्षेत्रीय असंतुलन को कम करने और विकास के विकेंद्रीकरण की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। आर.आई.सी. में आए निवेशों से छोटे और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। कृषि प्रसंस्करण, कपड़ा, खाद्य उद्योग, और नवकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में निवेश से न केवल औद्योगिक उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि स्थानीय स्तर पर कारीगरों, किसानों और उद्यमियों को भी सशक्त बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश का हर शहर और हर गांव विकास यात्रा का मूक-दर्शक नहीं, बल्कि सक्रिय भागीदार बनेगा।

यहां स्थापित हो रही औद्योगिक इकाईयां

रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव के बाद प्रदेश के पांच संभागों में औद्योगिक इकाईयां स्थापित होने लगी हैं। उज्जैन रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में 61 औद्योगिक इकाइयों का भूमि-पूजन एवं लोकार्पण हुआ। इनसे 10 हजार 59 करोड़ रुपए का निवेश आएगा और 16 हजार 968 रोजगार सृजित होंगे। जबलपुर रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में ही 67 औद्योगिक इकाइयों का भूमि-पूजन एवं लोकार्पण हुआ, जिनसे एक हजार 531 करोड़ रुपये का निवेश आएगा और 4 हजार 560 रोजगार सृजित होंगे। ग्वालियर कॉन्क्लेव में 28 औद्योगिक इकाइयों का भूमि-पूजन एवं लोकार्पण हुआ, जिनसे एक हजार 321 करोड़ रूपये का निवेश आएगा और 3 हजार 785 रोजगार सृजित होंगे। रीवा रीजनल इंडस्ट्रीज कॉन्क्लेव में 21 औद्योगिक इकाइयों का भूमि-पूजन एवं लोकार्पण हुआ, जिनसे 2 हजार 690 करोड़ रूपये का निवेश आएगा और एक हजार 830 रोजगार सृजित होंगे। नर्मदापुरम रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में 82 औद्योगिक इकाइयों का भूमि-पूजन एवं लोकार्पण हुआ। जिनसे 2 हजार 595 करोड़ रूपये का निवेश आएगा और 5 हजार 762 रोजगार सृजित होंगे।

282 हेक्टेयर क्षेत्र में दो औद्योगिक प्रोजेक्ट

 मप्र में तेजी से औद्योगिक इकाईयां पैर पसार रही है। इससे न केवल प्रदेश में निवेश बढ़ रहा है, इसके साथ ही हजारों लेागों को रोजगार भी मिल रहा है। इसी कड़ी में मप्र औद्योगिक विकास निगम(एमपीआईडीसी) द्वारा इंदौर रीजन में नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित कर रही है। दो वर्ष पूर्व इंदौर में हुई सातवीं ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में तिलगारा(धार) और मोहना(धार) औद्योगिक पार्क प्रोजेक्ट स्वीकृत हुआ था। ये प्रोजेक्ट तीन महीने में पूरे होंगे और इनमें हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा। मप्र औद्योगिक विकास निगम के अनुसार मोहना औद्योगिक पार्क फरवरी और तिलगारा औद्योगिक पार्क मार्च में पूरा हो जाएगा। 282 हेक्टेयर में विकसित हुए इस प्रोजेक्ट 3 हजार करोड़ रुपए के निवेश से 10 लोगों को रोजगार मिलेगा। धार जिले के आदिवासी अंचल में इस वर्ष इन दोनों प्रोजेक्ट के शुरू होते ही 10 हजार से अधिक लोगों को सीधे तौर पर रोजगार मिलेगा। जहां इंदौर से धार के बीच रेल मार्ग शुरू हो जाएगा। जिले के पेटलावद-बदनावर मार्ग से करीब चार किमी दूर तिलगारा औद्योगिक पार्क आकार ले चुका है। 79 करोड़ रूपये से यह प्रोजेक्ट मार्च माह में पूरा कर लिया जाएगा। कुल मिलाकर आदिवासी अंचल धार में इस प्रोजेक्ट पूरा होते ही 5 हजार से अधिक लोगों को सीधे तौर पर रोजगार मिलेगा। इस बहुउद्देशीय पार्क में अलग-अलग सेक्टर के उद्योग संचालित होंगे। 10 हेक्टेयर क्षेत्र में हरियाली विकसित की जाएगी। 1.6 हेक्टेयर में पार्किंग बनेगी। लाजिस्टिक के लिए 3.3 हेक्टेयर जमीन आरक्षित की गई है। हालांकि अभी यहां प्लाट आवंटन शुरू नहीं हुआ है।

 60 इकाईयां विकसित होगी

इंदौर से 25 किमी दूर धार जिले के मोहना में औद्योगिक पार्क काम जनवरी 2022 में शुरू हुआ था। दो फेस में तैयार हो रहे इस प्रोजेक्ट को 61.5 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया जा रहा है। इसमें 147.39 हेक्टयर जमीन पर 60 प्लाट निकाले गए है। जिसमें से 16 प्लाट का आवंटन किया जा चुका है। इस क्षेत्र बहुउद्देशीय पार्क के रूप में विकसित किया गया है, जिसके चलते यहां अलग-अलग कार्य क्षेत्र की इकाईयां शुरू हो सकेगी। एप्रोच रोड, सडक़, बिजली आदि काम पूरे हो चुके है। इस प्रोजेक्ट में 1500 करोड़ रुपये के निवेश आने की संभावना है। इससे 5 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। प्रोजेक्ट फरवरी अंत तक पूरा हो जाएगा।

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