....

महामंडलेश्‍वर और नागा साधु बनने की परीक्षा में 100 से अधिक उम्मीदवार असफल

 महामंडलेश्‍वर और नागा साधु बनने की परीक्षा में 100 से अधिक उम्मीदवार असफल

महाकुंभ में साधु-संतों का डेरा जमा हुआ है। साथ ही नागा साधुओं के 13 अखाड़े भी अपने शिविर लगाकर धूनी रमाए हुए हैं। इस महाकुंभ के दौरान सभी 13 अखाड़ों में नागा साधु और महामंडेलेश्वर बनाने की प्रक्रिया भी साथ चल रही है। इस दौरान जानकारी आ रही है कि कुंभ की परीक्षा में शामिल होने वाले महामंडलेश्वर पद के 12 आवेदकों और नागा के लिए 92 उम्मीदवार असफल हो गए।


इन्हें जूना अखाड़ा, आवाहन, निरंजनी और बड़ा उदासीन अखाड़े ने इन लोगों को पद देने से इनकार कर दिया। जांच में इनकी दी गई जानकारी, धर्म और परंपरा के विपरीत मिली है। साथ ही कुछ लोगों की शैक्षिक योग्यता भी गलत पाई गई।मिली जानकारी के मुताबिक, मकर संक्रांति के बाद अब तक 13 अखाड़ों ने 30 महामंडलेश्वर आवेदकों और 3500 से अधिक नागा साधु के उम्मीदवारों को पास किया है। वसंत पंचमी के दिन यानी तीसरे अमृत स्नान तक महामंडलेश्वर पद के लिए पट्टाभिषेक और नागा संन्यासियों को दीक्षा दी जाएगी।

3 लेवल पर होती है जांच

अखाड़ों में पद और संन्यास देने से पहले आवेदक व्यक्ति और संत के आवेदन पर 3 स्तरीय जांच की जाती है। फिर 3 लेवल पर पास होने वालों को, जो पहले से संन्यासी होता है उसे महामंडलेश्वर की पदवी दी जाती है। वहीं, विरक्त जीवन का संकल्प लेने वालों को नागा संन्यासी बनाया जाता है।

दोनों पदों के लिए सभी 13 अखाड़े आवेदन स्वीकार करते हैं, संत और उम्मीदवार इसमें अपना जन्मस्थान, सगे संबंधियों का ब्योरा, शैक्षणिक योग्यता, मुकदमे की जानकारी, प्रॉपर्टी की जानकारी देते हैं। इसके बाद अखाड़े जिलेदार के जरिए इन सूचनाओं की जांच कराते हैं और अपनी रिपोर्ट अखाड़े के पंच परमेश्वर को देते हैं। फिर पंच परमेश्वर अपने हिसाब से इसकी जांच करते हैं और सभापति को फाइनल रिपोर्ट देते हैं।

Share on Google Plus

click Anonymous

    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

Post a Comment