....

जिस जिले में आधे मंडल अध्यक्ष बनेंगे, वहीं बन पाएंगे जिलाध्यक्ष, दो बार की सक्रिय सदस्यता देने वाले को ही जिलाध्यक्ष बनाने के निर्देश


  जिस शहर या जिले में 50 प्रतिशत, यानी आधे मंडल अध्यक्ष घोषित हो जाएंगे, वहीं जिलाध्यक्ष की निर्वाचन प्रक्रिया शुरू हो पाएगी। प्रदेश संगठन ने इस नियम को अनिवार्य कर दिया है। वहीं दो बार सक्रिय सदस्य रहने वालों को जिलाध्यक्ष बनाया जाएगा। इसके लिए वरिष्ठ नेताओं और पदाधिकारियों से रायशुमारी भी की जाएगी।

पूरे प्रदेश में भाजपा के संगठन चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। फिलहाल मंडल अध्यक्षों को लेकर कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं। 15 दिसंबर तक पूरे प्रदेश में नए मंडल अध्यक्ष घोषित करना हैं। मंडल अध्यक्षों के चुनाव में पूर्ण रूप से पारदर्शिता रखने और किसी भी नेता की सिफारिश नहीं होने के निर्देश संगठन ने दिए हैं, ताकि मंडल अध्यक्ष पूर्ण रूप से संगठन का ही काम करें। इसके साथ ही मंडल प्रतिनिधि का चुनाव भी किया जाएगा, जो जिलाध्यक्ष के लिए वोटिंग करेगा। इसके बाद सभी जिलों में अध्यक्ष चुने जाना हैं। संगठन ने शर्त रख दी है कि जिन जिलों में मंडलों की संख्या के 50 प्रतिशत अध्यक्ष बन जाते हैं, वहीं जिलाध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाए। अगर 50 प्रतिशत से कम अध्यक्ष बने हैं तो पहले मंडल अध्यक्षों की निर्वाचन प्रक्रिया पूरी की जाए। इस बार अध्यक्ष की उम्र भी बढ़ाकर 60 साल कर दी गई है, लेकिन जिलाध्यक्ष वही बन पाएगा, जो पहले भाजपा के किसी पद पर रहा हो, यानी यहां पैराशूट इंट्री बंद रहेगी। इसी तरह दो बार सक्रिय सदस्य रहने वाले नेता का नाम ही निर्वाचन प्रक्रिया में आएगा। हालांकि भाजपा के आंतरिक लोकतंत्र की दुहाई दी जाती है, लेकिन इस बार देखना यह है कि क्या वास्तव में लोकतांत्रिक आधार पर जिलाध्यक्ष का चुनाव हो पाएगा या फिर संगठन के बड़े नेता जिसे चाहेंगे, उसे इस पद पर बिठाएंगे।

Share on Google Plus

click newsroom

    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

Post a Comment