....

एंटीबायोटिक इंजेक्शन सहित तीन दवाएं सैंपल में फेल


 प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में भर्ती और ओपीडी में आने वाले रोगियों को दी जाने वाली तीन दवाएं गुणवत्ता जांच में अमानक मिली हैं। इनमें सेफ्ट्राइकजोन इंजेक्शन भी शामिल है, जो गंभीर संक्रामक बीमारियों में उपयोग किया जाता है।



इसका अधिकतर उपयोग मेडिकल कालेज, जिला अस्पताल और सिविल अस्पतालों में किया जाता है। इसके अतिरिक्त स्टेरायड के रूप में उपयोग होने वाला डेक्सोमेथासोन और आक्सीटोसिन इंजेक्शन भी अमानक पाया गया है।


मध्य प्रदेश पब्लिक हेल्थ सप्लाई कॉरपोरेशन ने इन दवाओं का उपयोग रोकने के निर्देश जारी किए हैं। इस वर्ष अभी तक 22 दवाएं अमानक मिल चुकी हैं। सेफ्ट्राइक्जोन इंजेक्शन का उपयोग तब किया जाता है, जब आमतौर पर उपयोग होने वाली एंटीबायोटिक दवाएं असर नहीं करतीं। जिला अस्पताल दमोह के स्टोर से इस इंजेक्शन के सैंपल जांच के लिए केंद्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला कोलकाता भेजे गए थे।


जांच में दवा की मात्रा मापदंड के अनुसान नहीं

20 सितंबर को गुणवत्ता जांच में पाया गया है कि इंजेक्शन में दवा की मात्रा मापदंड के अनुसार नहीं है। इसके बाद कंपनी जी लैबोरेट्रीज लिमिटेड को दो साल के लिए यह दवा आपूर्ति करने के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। इस दवा की एक्सपायरी मार्च 2026 थी।

अच्छा रहा कि खपत ज्यादा होने के पहले ही जांच करा ली गई। इसके अतिरिक्त दवाओं का प्रभाव बढ़ाने के लिए कैंसर सहित गंभीर रोगों में दिए जाने वाला डेक्सामेथासोन सोडियम फास्फेट इंजेक्शन भी अमानक मिला है।

दवा आपूर्ति करने वाली कंपनी पर कार्रवाई

इसका सैंपल जिला अस्पताल सिवनी ने जांच के लिए केंद्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला कोलकाता भेजा था, जो जांच में अमानक मिला है। इसमें भी दवा की मात्रा मापदंड के अनुसार नहीं मिली है। इस इंजेक्शन का विनिर्माण माह जुलाई, 2023 और एक्सपायरी जून 2025 है।

आशंका है कि आधे से अधिक इंजेक्शन का उपयोग हो चुका होगा। दवा आपूर्ति करने वाली कंपनी नंदिनी मेडिकल लैबोरेट्रीज पर इस दवा की आपूर्ति के लिए दो वर्ष तक रोक लगा दी गई है। इसके अतिरिक्त प्रसव के दौरान उपयोग होने वाला आक्सीटोसिन इंजेक्शन भी अमानक पाया गया

Share on Google Plus

click newsroom

    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

Post a Comment