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प्रयागराज महाकुंभ के लिए संघ चला रहा 'एक थाली-एक थैला' अभियान


 प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू होने वाले महाकुंभ में प्रदूषण रोकने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 'एक थाली-एक थैला' अभियान चला रहा है। महाकुंभ में 45 दिनों में 40 करोड़ श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है। इतने लोगों के भोजन आदि से 40 हजार टन प्लास्टिक कचरा निकलने की आशंका है।



इससे निपटने के लिए संघ ने घर-घर से ‘एक थाली-एक थैला’ एकत्र करने का अभियान चलाया है। संघ का मानना है कि तीर्थयात्रियों के पास तक एक थाली और थैला पहुंचाया जाएगा तो कचरे को कम किया जा सकता है। इसी उद्देश्य से मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ क्षेत्र से यह सामग्री एकत्र कर उत्तर प्रदेश को भेजी जाएगी। स्वयंसेवकों से यह भी कहा गया है कि थैले में संघ के नाम का उल्लेख न करें।


एमपी-छत्तीसगढ़ में अभियान तेज गति पकड़ चुका है

प्रयागराज महाकुंभ को हरित कुंभ प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने 'एक थाली-एक थैला' आरंभ किया है ताकि ही घर से सहयोग लेकर पवित्र नगरी प्रयागराज को स्वच्छ और कचरा मुक्त रखा जा सके। संघ के मध्य प्रदेश -छत्तीसगढ़ क्षेत्र के सभी प्रांतों में यह अभियान तेज गति पकड़ चुका है।


प्लास्टिक मुक्त समाज का अभियान

कई प्रांतों से सामग्री एकत्र कर प्रयागराज के लिए रवाना भी की जा चुकी है। गौरतलब है कि संघ पर्यावरण संरक्षण अभियान के तहत प्लास्टिक मुक्त समाज का अभियान चला रहा है। इसी के तहत संघ का प्रयास है कि प्रयागराज महाकुंभ में भी प्लास्टिक का कम से कम उपयोग हो। लोग भोजन-प्रसादी या पानी पीने के लिए पारंपरिक रीति अपनाएं और प्लास्टिक का उपयोग नहीं करें।


पंच परिवर्तन के दो प्रमुख विषय पर्यावरण और स्वदेशी

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अपने शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर चुका है। संघ पंच परिवर्तन के विषयों को लेकर काम कर रहा है। इनमें से पर्यावरण और स्वदेशी दो प्रमुख विषय हैं। इन्हीं विषयों को ध्यान में रखते हुए संघ जनवरी 2025 प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ कचरा मुक्त बनाने के लिए एक थाली एक थैला अभियान चला रहा है।


इसमें संघ के सभी अनुषांगिक संगठन, विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता भी सहभागिता कर रहे हैं। संघ का उद्देश्य है कि जनवरी 2025 में महाकुंभ का आयोजन होने से पहले उचित संख्या में थाली और थैले कुंभ क्षेत्र में पहुंच जाएं ताकि वहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं में इनका निश्शुल्क वितरण आरंभ हो जाए। एक थाली एक थैला अभियान चलाने के पीछे संघ की सोच है कि श्रद्धालुओं को डिस्पोजल बर्तनों में भोजन नहीं करना पड़े।

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