भ्रष्टाचार एक बीमारी है और इसे जड़ से ख़त्म किया जाना चाहिएः राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज विश्वास व्यक्त किया कि सरकार की “भ्रष्टाचार को कतई ना बर्दाश्त करने” की नीति भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म कर देगी। उन्होंने कहा कि भारतीय समाज में सत्यनिष्ठा एवं अनुशासन को जीवन का आदर्श माना जाता है। राष्ट्रपति नई दिल्ली में केंद्रीय सतर्कता आयोग के सतर्कता जागरूकता सप्ताह के अवसर पर एक कार्यक्रम को संबोधित कर रही थी।
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार एक बीमारी है और इसे जड़ से खत्म किया जाना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार ने भ्रष्टाचार से निपटने के लिए कई पहल की हैं। इनमें से कुछ पहलों का उल्लेख करते हुए उन्होंने प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना, ई मार्केटप्लेस और आर्थिक अपराधी अधिनियम का उदाहरण दिया।
राष्ट्रपति ने कहा कि भ्रष्ट व्यक्तियों के खिलाफ शीघ्र कानूनी कार्रवाई बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि कार्रवाई में देरी या कमजोर कार्रवाई अनैतिक व्यक्तियों को बढ़ावा देती है। हालाँकि उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि हर कार्य और व्यक्ति को संदेह की दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी कार्रवाई का उद्देश्य समाज में न्याय और समानता की स्थापना होना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि विश्वास सामाजिक जीवन की नींव है और भ्रष्टाचार न केवल आर्थिक प्रगति में बाधा है, बल्कि यह समाज में विश्वास को भी कम करता है। उन्होंने कहा कि हर वर्ष 31 अक्टूबर को सरदार पटेल की जयंती पर हम देश की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण रखने का संकल्प लेते हैं। राष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि इसे पूरा करना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि सरकार के काम-काज और कल्याणकारी योजनाओं में जनता का विश्वास शासन के लिए शक्ति का स्रोत है।
केंद्रीय सतर्कता आयुक्त पी के श्रीवास्तव ने इस अवसर पर कहा कि सरकार की भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति है। उन्होंने कहा कि शिकायतों के शीघ्र निपटारे के लिए कई उपाय किये गये हैं। उन्होंने कहा कि केंद्रीय सतर्कता आयोग ने कर्मचारियों की क्षमता निर्माण पर भी जोर दिया है। उन्होंने कहा कि प्रक्रियाओं को भी सरल बनाया जा रहा है।
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