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30 बिलियन डॉलर के उद्योग के रूप में उभरी है भारत की रचनात्‍मक अर्थव्‍यवस्‍था: सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्‍णव

 30 बिलियन डॉलर के उद्योग के रूप में उभरी है भारत की रचनात्‍मक अर्थव्‍यवस्‍था: सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्‍णव

सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्‍णव ने आज कहा कि भारत की रचनात्‍मक अर्थव्‍यवस्‍था 30 बिलियन डॉलर के उद्योग के रूप में उभर चुकी है। यह सकल घरेलू उत्‍पाद का लगभग ढाई प्रतिशत योगदान करने के साथ आठ प्रतिशत कार्यबल को आजीविका प्रदान का रही है। अंग्रेजी और हिन्‍दी के समाचारपत्रों में प्रकाशित एक लेख में मंत्री वैष्‍णव ने कहा कि तीन हजार करोड़ रूपये से अधिक मूल्‍य के विपणन क्षेत्र और दो लाख से अधिक पूर्णकालि‍क सामग्री निर्माताओं के साथ यह उद्योग एक गतिशील शक्ति बन चुका है। मंत्री वैष्‍णव ने कहा कि सरकार तीन मुख्‍य स्‍तम्‍भों को प्राथमिकता दे रही है। इनमें प्रतिभा पाइपलाइन को सशक्‍त बनाना, निर्माताओं के लिए अवसंरचनाओं का सशक्तिकरण और वैश्विक मंच पर भारत की रचनात्‍मक अर्थव्‍यवस्‍था को आगे बढ़ाने के लिए कथावाचकों को बल प्रदान करने की व्‍यवस्‍था का सुप्रबंधन करना शामिल है। उन्‍होंने कहा कि इस परिकल्‍पना के हिस्‍से के रूप में भारतीय रचनात्‍मक प्रौद्योगिकी संस्‍थान की स्‍थापना नवाचार और रचनात्‍मकता को बढ़ावा देने के प्रति सरकार की वचनबद्धता को दर्शाती है। मंत्री वैष्‍णव ने कहा कि विश्‍व दृश्‍य-श्रव्‍य और मनोरंजन शिखर सम्‍मेलन सामग्री निर्माण तथा नवाचार के क्षेत्र में एक वैश्विक शक्ति के रूप में देश को स्‍थापित करने के लिए एक ऐतिहासिक पहल है। 


गोआ में आज शाम से शुरू हो रहे 55वें भारतीय अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍मोत्‍सव को लेकर मंत्री वैष्‍णव ने कहा कि अगले आठ दिनों के इस कार्यक्रम में सैंकड़ों फिल्‍में दिखाई जाएंगी। इस महोत्‍सव में फिल्‍म उद्योग के दिग्‍गजों के उत्‍कृष्‍ट कार्यों का प्रदर्शन और वैश्विक सिनेमा के श्रेष्‍ठ कार्यों को सम्‍मानित किया जाएगा। उन्‍होंने कहा कि वैश्विक और भारतीय सिनेमा की उत्‍कृष्‍टता नवाचार, रोजगार और सांस्‍कृतिक राजनय के एक पावरहाउस के रूप में भारत की रचनात्‍मक अर्थव्‍यवस्‍था को दर्शाती है। 

मंत्री वैष्‍णव ने कहा कि भारत के 110 करोड़ इंटरनेट उपभोक्‍ता और सोशल मीडिया के 70 करोड़ उपभोक्‍ता रचनात्‍मकता के लोकतंत्रीकरण को बढ़ावा दे रहे हैं। सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म और ओटीटी सेवाएं निर्माताओं को वैश्विक दर्शकों के साथ सीधे जुड़ पाने में सहायक साबित हो रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि श्रेत्रीय सामग्री का प्रसार और देशी भाषाओं में कथावाचन ने कहानियों की विविधता को बढ़ावा दिया है। यह कदम भारत की रचनात्‍मक अर्थव्‍यवस्‍था को सही अर्थों में समावेशी बना रहा है। श्री वैष्‍णव ने कहा कि सामग्री निर्माताओं को अभूतपूर्व आर्थिक सफलता मिल रही है। दस लाख से अधिक फॉलोअर वाले सामग्री निर्माता प्रतिदिन लगभग बीस हजार रूपये और प्रतिमाह ढाई लाख रूपये अर्जित कर रहे हैं। यह पारिस्थितकी तंत्र आर्थिक रूप से उत्‍साहवर्धक होने के साथ सांस्‍कृतिक अभिव्‍यक्ति और सामाजिक प्रभाव का एक मंच भी प्रदान करता है। 


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