एम्स भोपाल में एआई की मदद से होगी कैंसर की सटीक पहचान
भोपाल। राजधानी में स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में मस्तिष्क के ट्यूमर और गर्दन के कैंसर की पहचान एआई तकनीक की मदद से हो सकेगी। इसके लिए एम्स और भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) की टीम डीप लर्निंग और एआई तकनीक का उपयोग कर एक ऐसी तकनीक विकसित करने की दिशा में काम कर रही है, जिससे ब्रेन ट्यूमर और गर्दन के कैंसर की पहचान आसानी से हो सकेगी।
प्रोजेक्ट के लिए हुआ चयन
दरअसल, जापान की इलेक्ट्रॉनिक कंपनी टीडीके और आईआईटी मद्रास के गोपालकृष्णन देशपांडे सेंटर (जीडीसी) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के तहत इस टीम को टीआईआईसी एक्सेलेरेटर प्रोग्राम-2024 के लिए चुना गया है। इस पहल का उद्देश्य उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा और नैदानिक प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में भारतीय शोधकर्ताओं और स्टार्टअप्स की पहचान कर उन्हें प्रोत्साहित करना और निवेश के जरिए उन्हें समर्थन देना है।
ऐसे मददगार होगी तकनीक
इस प्रोजेक्ट की मदद से ऐसी तकनीक विकसित की जाएगी, जो स्वयं ही सिर के ट्यूमर और गर्दन के कैंसर का पता लगा लेगी। यह तकनीक रेडियोथैरेपी में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है, जिससे ट्यूमर की पहचान की प्रक्रिया तेज और सटीक हो जाएगी। यह तकनीक फिलहाल दुनिया में कहीं भी उपलब्ध नहीं है। इस परियोजना के अंतर्गत टीम आईआईटी मद्रास में आठ सप्ताह की कार्यशाला में भाग लेगी। जहां वे अपनी तकनीक को बेहतर बनाएंगे और इसे व्यावसायिक रूप से उपयोग करने के तरीके खोजेंगे।
टीम में ये हैं शामिल
इस प्रोजेक्ट का नेतृत्व एम्स भोपाल के रेडियोथैरेपी विभाग के डॉ. राजेश पसरीचा करेंगे। उनकी टीम में मेडिकल फिजिशिस्ट अवनीश मिश्रा, रेसिडेंट डॉ. श्रीनिवास रेड्डी और डॉ. अरविन्द शामिल हैं। जबकि आईआईएसईआर भोपाल से डॉ. तन्मय बसु, डॉ. विनोद कुर्मी और डॉ. फिरोज सूरी शामिल हैं। इस साझेदारी से मरीज के जटिल इलाज में प्रयोग होने वाले आधुनिक उपकरणों को विकसित किया जा सकेगा।
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