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हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई जाएगी रीवा के अल्ट्रा मेगा सोलर प्लांट की केस स्टडी

 

मध्य प्रदेश के रीवा स्थित अल्ट्रा मेगा सोलर प्लांट की कार्यप्रणाली को विश्व प्रसिद्ध हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने केस स्टडी के रूप में शामिल किया है। इसके तहत प्लांट के उत्कृष्ट प्रबंधन, संचालन और सौर ऊर्जा उत्पादन को आदर्श उदाहरण के रूप में पढ़ाया जा रहा है।

यह प्लांट न सिर्फ विश्व का सबसे बड़ा प्लांट है, बल्कि सबसे सस्ती दर पर व्यावसायिक ऊर्जा उत्पादन करने वाला भी है। यहां से 3.3 रुपये प्रति यूनिट बिजली अगले 25 सालों के लिए उपलब्ध हो सकेगी।


भारत में चार लाख 67 हजार वर्ग किमी बंजर जमीन

केस स्टडी में बताया गया कि भारत में चार लाख 67 हजार वर्ग मीटर बंजर भूमि आंकी गई है। इसका उपयोग सोलर पावर प्लांट लगाने में किया जा सकता है। मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के ओंकारेश्वर में नर्मदा नदी पर 600 मेगावाट क्षमता की फ्लोटिंग सोलर परियोजना भी विकसित की जा रही है।

सोलर पैनल लगाने के लिए अभियान

मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव के अनुसार हाल ही में गुजरात के गांधीनगर में नवकरणीय ऊर्जा को लेकर हुई राष्ट्रीय समिट में अनेक उद्योगपतियों ने मध्य प्रदेश में सोलर प्लांट लगाने की इच्छा जाहिर की है। भोपाल में सरकारी भवनों और नागरिकों को अपने घर की छतों पर सोलर पैनल लगाने के लिए अभियान चलाया जाएगा।

37 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन

हर दिन 37 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन कुल 750 मेगावाट क्षमता के इस प्लांट में अब 37 लाख यूनिट बिजली प्रतिदिन बनती है। प्रतिदिन उत्पादित 37 लाख यूनिट बिजली में से 24 प्रतिशत दिल्ली मेट्रो के संचालन के लिए सप्लाई की जाती है। इस प्लांट के महत्व इसी से पता चलता है कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इनोवेशन बुक में शामिल है।

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