प्रधानमंत्री का सपना साकार कर रहीं 234 लखपति दीदियां
राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से चल रहे स्व सहायता समूह से जुड़कर ग्रामीण अंचल की महिलाएं खुद के पैरों पर तो खड़ी हुईं ही, दूसरी महिलाओं को भी रोजगार दे रही हैं। जिले में संचालित हो रहे 4383 समूहों में अब तक 52 हजार से अधिक परिवारों को जोड़ा जा चुका है।
इन्हीं समूह में 234 दीदियां लखपति बन चुकी हैं। इनमें से कुछ ने साड़ी की दुकान, कियोस्क और सखी बैंक तैयार किया है। ये अब हर माह 15 से 20 हजार रुपये तक कमा रही हैं।
दुधिया गांव की रहने वाली रिंकू कौशल की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर थी। सिलाई का काम करने पर मुश्किल से दो हजार रुपये और मैकेनिक कार्य कर रहे पति पांच हजार रुपये प्रतिमाह कमाते थे। आर्थिक स्थिति खराब होने पर घर के गहने गिरवी रखने पड़े।
साल 2019 में खुशी आजीविका स्वयं सहायता समूह से रिंकू जुड़ीं। 10 हजार रुपये का लोन लेकर सिलाई मशीन खरीदी और 50 हजार रुपये का लोन लेकर साड़ी की दुकान खोली। अब वो हर माह 10 हजार रुपये कमा रही है।
गांव में बैंक ऑफ महाराष्ट्र की बैंक सखी बन कियोस्क सेंटर भी शुरू किया। इससे अतिरिक्त आय सात हजार रुपये बढ़ कर 22 हजार रुपये हो गई है। रिंकू ने बताया कि कुछ समय पहले ही पति को ऑटो रिक्शा दिलवाया है। इससे अब घर की कुल आय 34 हजार रुपये प्रति माह हो गई है। गिरवी रखे जेवर भी छुड़वा लिए हैं।
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