कैलाश महामेरू प्रसाद शैली में बना प्रथम ज्योर्तिलिंग, श्री कृष्ण ने यहीं त्यागा था देह
गुजरात में अरब सागर के किनारे बने सोमनाथ मंदिर में पहला ज्योतिर्लिंग है। यहां शिव की उपासना होती है, लेकिन मान्यता यह भी है कि भगवान श्रीकृष्ण ने यहीं अपनी देह त्यागी थी। गुजरात के प्रभास पाटण स्थित सोमनाथ मंदिर का अतीत काफी प्राचीन है, जिसका उल्लेख स्कंद पुराण, भागवत पुराण, शिवपुराण में भी मिलता है। 11वीं से 17वीं सदी तक 7 बार मुगल आक्रांताओं ने मंदिर पर हमले किए। देश के प्रथम उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रेरणा से कैलाश महामेरू प्रसाद शैली में मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया गया। 1951 में देश के राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इस मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की थी। मंदिर में गर्भगृह, सभामंडप, नृत्यमंडप के साथ 155 फीट ऊंचा शिखर है। शिखर पर 10 टन स्वर्ण जडि़त कलश स्थापित है, वहीं पूरे मंदिर में स्वर्ण जडि़त 1400 कलश लगे हुए हैं। 27 फीट लंबा ध्वजदंड लगा है।
साल में आते हैं सवा करोड़ लोग
साल में मंदिर में 1 से सवा करोड़ लोग दर्शन के लिए आते हैं, जिनमें करीब 10 हजार विदेशी होते हैं। हर महीने करीब 7-8 लाख लोग आते हैं। हालांकि श्रावण में यह संख्या 12 लाख तक पहुंच जाती है। मंदिर में रोज शाम 7.45 से 8.45 बजे तक जय सोमनाथ लाइट एंड साउंड शो दिखाया जाता है।
ऑनलाइन पूजा सुविधा
ट्रस्ट की ओर से लोगों के सोमनाथ में ठहरने, पूजा करने, विशेष बिल्व पूजा, लाइव दर्शन, घर बैठे पूजा का संकल्प दिलाकर पूजा कराने, प्रसाद बुकिंग, दान आदि की ऑनलाइन सुविधा ट्रस्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध है। भगवान शिव को अर्पित धोती और माता पार्वती को चढ़ाई साड़ी भी प्रसाद में मिलेगी।
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