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यदि कानून के सिद्धांतों को आम जनता को सरल शब्दों में नहीं समझाया जा सकता, तो कानूनी पेशे और शिक्षा में कमी - डी.वाई. चंद्रचूड़

 लखनऊ : रविवार, जुलाई 14, 2024/ सर्वोच्‍च न्‍यायालय के प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा है कि यदि कानून के सिद्धांतों को आम जनता को सरल शब्दों में नहीं समझाया जा सकता है, तो कानूनी पेशे और कानूनी शिक्षा में कमी है। लखनऊ में डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में अपने संबोधन के दौरान मुख्‍य न्‍यायाधीश ने क्षेत्रीय भाषाओं में कानून की शिक्षा देने की आवश्‍यकता पर जोर दिया।



इस अवसर पर प्रधान न्‍यायाधीश चंद्रचूड़ और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने छात्रों को डिग्रियां बांटीं। चंद्रचूड ने कहा कि कानून पढ़ाते समय हमें क्षेत्रीय भाषाओं पर भी विचार करना चाहिए और मेरा मानना है कि आरएमएलएनएलयू को हिंदी में एलएलबी पाठ्यक्रम शुरू करना चाहिए। हमारे विश्वविद्यालयों में क्षेत्रीय मुद्दों से जुड़े कानून भी पढ़ाये जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्‍य न्‍यायाधीश के तौर पर उन्होंने न्याय प्रक्रिया को आम लोगों के लिए और अधिक सुलभ बनाने के लिए कई निर्देश जारी किये हैं। उदाहरण के लिए, अंग्रेजी में दिए गए सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों का भारत के संविधान में मान्यता प्राप्त विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया जा रहा है। इससे जनता को इन निर्णयों की सामग्री को समझने की अनुमति मिल रही है।


मुख्‍यमंत्री योगी ने कहा कि परसेप्शन बदलने में, आमजन की धारणा बदलने के लिए, देश और दुनिया की धारणा बदलने के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। यह विश्वविद्यालय एक सही राह पर आगे बढ़ चुका है। यहां के उपाधि प्राप्त करने वाले जितने भी स्नातक, परास्नातक और शोध करने वाले छात्र हैं, वे अपने कार्यों के माध्यम से न सिर्फ विश्वविद्यालय को बल्कि समाज और राष्ट्र को लाभान्वित करके अपने अभिभावकों और अपने गुरुजनों को गौरवान्वित करने का कार्य करेंगे। इस दौरान मुख्‍यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा भारत अब कानून के शासन के लिए पहचाना जाता है। यह देश की धारणा बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


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