प्रदेश के 430 स्थानीय निकायों में से प्रत्येक अपने यहां के एक तालाब और जहां तालाब नहीं हैं, वहां बावड़ी या छोटी नदी को पुनर्जीवन देगा। इसके लिए जलाशय में मिलने वाले सीवेज और अन्य गंदगी को रोका जाएगा। तालाब का गहरीकरण किया जाएगा। इसके साथ ही आसपास ग्रीन स्पेस यानी हरियाली विकसित की जाएगी।
दोनों कामों में मिलाकर 588 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। सफाई के बाद इन जलाशयों का पानी शहर में पार्कों की सिंचाई के लिए उपयोग किया जाएगा। इसके लिए स्थानीय स्तर पर निकाय निविदा कर एजेंसी का चयन करेंगे। लगभग एक वर्ष में यह काम पूरा होगा। 430 में से 350 स्थानीय निकायों ने जलाशयों के संरक्षण के लिए एजेंसी चयन की प्रकिया भी शुरू कर दी है।
मध्यप्रदेश सरकार ने इसी वर्ष गंगा दशहरा से प्रदेश भर में जल गंगा संवर्धन अभियान शुरू किया था। इसी कड़ी में छोटे-बड़े सभी स्थानीय निकाय में एक जलाशय (वॉटर बॉडी) का संरक्षण किया जा रहा है। जलाशय के संरक्षण में 471 करोड़ और हरियाली विकसित करने में 117 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। यह राशि 'अमृत-2' परियोजना के अंतर्गत खर्च की जा रही है।
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