नई दिल्ली : शनिवार, जुलाई 27, 2024/ असम के मोइदम्स को सांस्कृतिक श्रेणी में प्रतिष्ठित 43वां यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का टैग प्राप्त हुआ है। लगभग 700 साल पुराने मोइदाम ईंट, पत्थर की खोखली तहखाना हैं और इनमें राजाओं और राजघरानों के अवशेष हैं। नई दिल्ली में आयोजित विश्व धरोहर समिति की बैठक में मोइदाम को शामिल करने का निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया। मोइदम्स विश्व धरोहर सूची में शामिल होने वाला पहला सांस्कृतिक स्थल (सांस्कृतिक विरासत श्रेणी से) और उत्तर पूर्व का तीसरा समग्र स्थल है। दो अन्य काजीरंगा और मानस हैं जिन्हें प्राकृतिक विरासत श्रेणी के अंतर्गत अंकित किया गया था।
संस्कृति मंत्रालय के अनुसार, केंद्र सरकार एक दशक से इसे विश्व धरोहर घोषित करने की मांग कर रही थी। चराईदेव मोईदाम को सांस्कृतिक श्रेणी में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में नई दिल्ली में आयोजित विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र में नामित किया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस समिति के कार्यक्रम का उद्घाटन किया था।
चराइदेव मोईदाम असम में शासन करने वाले अहोम राजवंश के सदस्यों के नश्वर अवशेषों को दफनाने की प्रक्रिया थी। राजा को उनकी सामग्री के साथ दफनाया जाता था। चराईदेव मोईदाम पूर्वोत्तर भारत का महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल है। इन प्राचीन दफन टीलों का निर्माण 13वीं से 18वीं शताब्दी के दौरान अहोम राजाओं ने कराया था।
घास के टीलों जैसे दिखने वाले चराईदेव मोईदाम को अहोम समुदाय पवित्र मानता है। प्रत्येक मोईदाम को एक अहोम शासक या गणमान्य व्यक्ति का विश्राम स्थल माना जाता है। यहां उनके अवशेषों के साथ-साथ मूल्यवान कलाकृतियां और खजाने संरक्षित हैं। मोईदाम असमिया पहचान और विरासत की समृद्ध परंपरा को दर्शाता है। चराईदेव मोईदाम को असम का पिरामिड भी कहा जाता है।
इसके शामिल होने की घोषणा करते हुए संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि यह उत्तर-पूर्व और असम के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा, यह विश्व मंच पर भारत की विरासत को उजागर करने के नए भारत के निरंतर प्रयास का प्रमाण है। मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह सम्मानित दर्जा इस स्थल के आसपास संरक्षण और पर्यटन के लिए काफी मददगार साबित होगा। शेखावत ने यह भी कहा कि विश्व धरोहर समिति की बैठक में भारत के छह और प्रस्ताव लंबित हैं और यूनेस्को के पास कुल मिलाकर 57 प्रस्ताव लंबित हैं।
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