भोपाल : मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में सरकार ने मध्य प्रदेश में बड़ा कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री और मंत्रियों के वेतन-भत्ते पर आयकर नहीं भरने का निर्णय लिया है।
हालांकि, कई राज्य पहले ही वर्षों पुराने इस नियम से तौबा कर चुके हैं।
वहां मुख्यमंत्री और मंत्री अपने वेतन-भत्ते पर आयकर खुद जमा करते है।उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने सितंबर 2019 में यह व्यवस्था बंद कर दी थी। इसके अतिरिक्त उत्तराखंड सरकार 2019 में, पंजाब सरकार 2018 में और हिमाचल सरकार 2021 इससे हाथ खीच चुकी है।
हालांकि, हरियाणा, बंगाल और छत्तीसगढ़ में मंत्रियों के वेतन-भत्ते पर आयकर अभी वहां की सरकार ही जमा कर रही है। हरियाणा और छत्तीसगढ़ में भी भाजपा की सरकार है। ऐसे में यहां की सरकारें भी मप्र की तरह व्यवस्था लागू कर सकती हैं।
सभी राज्यों में अलग-अलग नियमों के आधार पर आयकर की राशि सरकार द्वारा भरी जाती रही है। मुख्यमंत्री और मंत्रियों के वेतन-भत्तों में इधर कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ोतरी होने के बाद सरकार के खजाने पर बोझ बढ़ने लगा तो कुछ राज्यों की सरकारों ने भुगतान करना बंद कर दिया।
पंजाब में तो 1947 के एक नियम के अंतर्गत सरकार आयकर चुका रही थी। वर्ष 2018 में कांग्रेस की तत्कालीन अमरिंदर सिंह सरकार ने इसे बंद कर दिया था।जम्मू व कश्मीर राज्य में राज्य सरकार के मुख्यमंत्री, मंत्रियों, राज्य मंत्रियों और उपमंत्रियों के वेतन भत्तों पर आयकर प्रदेश सरकार द्वारा ही चुकाया जाता रहा है।
मौजूदा समय में जम्मू कश्मीर में विधानसभा नहीं है और संबंधित कानून में कोई बदलाव भी नहीं किया गया है। ऐसे में जब भी विधानसभा का गठन होगा तो मुख्यमंत्री, मंत्रियों, राज्य मंत्रियों और उप मंत्रियों का आयकर सरकार को चुकाना होगा।
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