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MP High Court: एकल पीठ ने दो IAS को सुनाई 7 दिन जेल की सजा शाम को युगल पीठ ने लगाई रोक

 


भोपाल : 18 अगस्त | हाई कोर्ट ने छतरपुर के तत्कालीन कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह (IAS) और तत्कालीन एडीशनल कलेक्टर अमर बहादुर सिंह (आइएएस) को  प्रकरण में दोषी मानते हुए सात-सात दिन के साधारण कारावास की सजा सुनाई। 

शुक्रवार को दोपहर में न्यायमूर्ति जीएस आहलूवालिया की एकलपीठ ने जेल की सजा के साथ दोनों अवमाननाकर्ता अधिकारियों पर दो-दो हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। इसके साथ ही रजिस्ट्रार न्यायिक को निर्देश दिए कि दोनों अधिकारियों का जेल वारंट तैयार किया जाए। 

वहीं दूसरी ओर शाम को मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने एकलपीठ द्वारा सुनाई गई सजा रोक लगा दी। युगलपीठ ने एकलपीठ के उस आदेश पर भी रोक लगा दी जिसमें दोनाें अधिकारियों को अवमानना का दोषी करार दिया था। उल्लेखनीय है कि छतरपुर स्वच्छता मिशन के तहत जिला समन्वयक रचना द्विवेदी को बड़ा मलहरा स्थानांतरित कर दिया गया था। 

मामले की सुनवाई के दौरान दलील दी गई कि संविदा नियुक्ति में स्थानांतरण करने का कोई प्रावधान नहीं है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता डीके त्रिपाठी ने अवगत कराया कि इस मामले में HC ने 10 जुलाई, 2020 को स्थानांतरण आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी। 

हाई कोर्ट की रोक के बावजूद याचिकाकर्ता को बड़ा मलहरा में ज्वाइनिंग नहीं देने के कारण सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। इस पर याचिकाकर्ता ने उक्त अधिकारियों के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की।

कोर्ट ने दो अगस्त, 2023 को उक्त अधिकारियों को कंटेम्प्ट आफ कोर्ट का दोषी माना था। शुक्रवार को कोर्ट ने दोनों अधिकारियों का इस प्रकरण में सजा तय करने पर फैसला सुनाया। इससे पूर्व अवमाननाकर्ता अधिकारियों की ओर से दलील दी गई कि इस मामले में जवाब प्रस्तुत करने के लिए ओआईसी नियुक्त किया गया था। 

ओआईसी ने जवाब भी प्रस्तुत किया था। कोर्ट ने कहा कि अवमानना प्रकरण में संबंधित अवमाननाकर्ता को ही व्यक्तिगत  पर जवाबदावा पेश करना होता है। कोर्ट ने कहा कि ओआईसी नियुक्त करके अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। 

चूंकि कोर्ट का स्थगन आदेश था, इसलिए उक्त अधिकारियों को याचिकाकर्ता की सेवाएं जारी रखने देना चाहिए था। कोर्ट ने कहा कि ऐसा नहीं करके उक्त अधिकारियों ने अदालत के आदेश का खुला उल्लंघन किया है।एकलपीठ का फैसला आते ही दोनों अधिकारियों की ओर से अवमानना की अपील प्रस्तुत की गई। 

शीलेन्द्र सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय अग्रवाल और अमर बहादुर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली युगलपीठ के समक्ष एकलपीठ के फैसले को अनुचित बताते हुए सजा पर रोक लगाए जाने की मांग की। जिस पर सुनवाई के बाद सात-सात दिन के लिए जेल भेजने वाले एकलपीठ के आदेश पर रोक लगा दी गई।

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