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पीढ़ी परिवर्तन की राह पर भाजपा

भोपाल। एक साल बाद मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण को लेकर भाजपा और कांग्रेस अपनी गाइडलाइन तय कर रही हैं। भाजपा उम्रदराज और कई बार चुनाव जीत चुके नेताओं से पल्ला झाड़ेगी। इसी तरह कांग्रेस हारे हुए चेहरों को प्रत्याशी नहीं बनाएगी। पार्टी ऐसी 100 सीटों पर युवा और नए प्रत्याशियों की तलाश कर रही है।


इसके पीछे दोनों पार्टियों के अपने-अपने अध्ययन और अनुभव हैं। आगामी चुनाव भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण हैं। जीत सुनिश्चित करने के लिए पार्टी पांच बार या इससे अधिक चुनाव लड़ चुके नेताओं को टिकट नहीं देगी। ज्यादातर सीटों पर नए चेहरों को मौका देगी। वहीं, कांग्रेस ने तय किया है कि चुनाव में नए लोगों को मौका दिया जाएगा। इसमें जिन सीटों पर पार्टी को लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है, वहां पहले प्रत्याशी घोषित कर दिए जाएंगे।

मिशन 2023 में

लंबे अनुभव और नए जोश में संतुलन के साथ मिशन 2023 में उतरने को तैयार भाजपा अपने कई दिग्गजों को अधिक उम्र के पैमाने पर मैदान से बाहर करने पर मंथन कर रही है। 70 के पार, चार से पांच बार विधायक या दीर्घ राजनीतिक सक्रियता जैसे बिंदुओं को देखते हुए उम्रदराज नेताओं की जगह नए चेहरों को मौका दिया जा सकता है। दरअसल, 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बाबूलाल गौर, सरताज सिंह, रामकृष्ण कुसमरिया जैसे दिग्गज नेताओं के टिकट उम्र के कारण काटे थे।

परिणाम तब भले ही पार्टी को सत्ता तक नहीं पहुंचा सके थे, लेकिन कई नए चेहरों को मौका मिलने से पार्टी ने महसूस किया कि संभावनाओं के अनुरूप युवाओं का पार्टी के प्रति रूझान बढ़ा। इसे जारी रखने की मंशा से भाजपा संगठन में पीढ़ी परिवर्तन के दौर को थामने के पक्ष में नहीं है, बल्कि विधानसभा क्षेत्रों के स्तर पर उतरकर युवाओं को मौका देने की संभावनाएं टटोली जा रही हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि निकाय चुनावों में पार्टी ने नए चेहरों पर जोखिम लिया, जिसमें सफलता मिली है। इसे विधानसभा चुनाव के लिए शुभ संकेत माना जा रहा है।

युवाओं पर फोकस की एक वजह ये भी

2018 के विधानसभा चुनाव में 20-29 साल आयु वर्ग के करीब 1 करोड़ 37 लाख, 83 हजार मतदाता थे। इनमें से 18-19 साल आयु वर्ग की संख्या 23 लाख थी। प्रदेश में कुल मतदाता 5 करोड़ 66 लाख थे। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में भी युवाओं ने खासी भागीदारी की थी। भाजपा का आकलन है कि युवा मतदाताओं को जोड़ने के लिए पार्टी में युवाओं की भागीदारी बढ़ानी होगी, जिसका दूसरा लाभ ये भी होगा कि यही युवा केंद्र व राज्य की भाजपा सरकारों की योजनाओं से आ रहे बदलाव से भी लोगों को अवगत कराएंगे। इससे पहले भाजपा में सुदरलाल पटवा और कैलाश जोशी की जोड़ी ने 1989-90 में जिन नेताओं को पार्टी में आगे बढ़ाया था, वही टीम अभी सत्ता में है। उस दौर में शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, नरोत्तम मिश्रा सहित कई युवा चेहरों को पार्टी ने चुनाव लड़ाया था।


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