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सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक कल्याण संस्था ने जल्द सुनवाई के लिए अर्जी लगाएगी

  छह साल से पदोन्नति का इंतजार कर रहे मध्य प्रदेश के अधिकारियों और कर्मचारियों को जल्द ही राहत मिलने की उम्मीद है। ग्रीष्म अवकाश समाप्त होने के बाद सोमवार से सुप्रीम कोर्ट में सामान्य कामकाज शुरू हो रहा है। ऐसे में सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक कल्याण संस्था (स्पीक) मामले की जल्द सुनवाई की अर्जी लगाएगी। ताकि प्रदेश के संदर्भ में जल्द फैसला आ जाए और मई 2016 में लगाई गई पदोन्नति पर रोक हट जाए।


संभावना है कि सुप्रीम कोर्ट इसी महीने सुनवाई कर सकता है। ज्ञात हो कि इस अवधि में 70 हजार से अधिक कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इनमें से करीब 36 हजार को पदोन्नति नहीं मिली।

सुप्रीम कोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण मामले में मुद्दे तय कर दिए हैं। इन्हीं मुद्दों को आधार बनाकर केंद्र और राज्यों के संदर्भ में फैसला आना है। मध्य प्रदेश के प्रकरण में मई 2022 में सुनवाई तय की गई थी। कोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार ने भी अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के कर्मचारियों का डाटा प्रस्तुत कर दिया है। जिसमें सरकार ने बताया कि पदोन्नति में अनुसूचित जाति को 16 और अनुसूचित जनजाति को 20 प्रतिशत आरक्षण देना न्यायसंगत रहेगा।

इसके लिए आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्था से मध्य प्रदेश की अनुसूचित जातियों व अनुसूचित जनजातियों का सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक पिछड़ापन, सरकारी सेवाओं में प्रतिनिधित्व और समग्र प्रशासनिक दक्षता जैसे बिंदुओं पर सर्वे कराया गया है। इसके बाद कोर्ट में ग्रीष्म अवकाश घोषित होने के कारण सुनवाई नहीं हुई।

छह साल से लगी है पदोन्नति पर रोक

मध्य प्रदेश में पिछले छह साल से पदोन्नति पर रोक लगी है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2016 को 'मप्र लोक सेवा (पदोन्न्ति) नियम 2002" खारिज किया है। इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मई 2016 में यथास्थिति (स्टेटस-को) रखने के निर्देश दिए हैं। तब से प्रदेश में अधिकारियों एवं कर्मचारियों की पदोन्नति पर रोक लगी है।


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