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क्या बिन ठाकरे होगी शिवसेना? उद्धव के हाथ से सरकार ही नहीं पार्टी भी जाने का खतरा

 महाराष्ट्र में सियासी सरगर्मियां लगातार तेज होती जा रही हैं। जहां उद्धव ठाकरे और उनके समर्थक नेता बागी विधायकों से सामने आकर इस्तीफा मांगने की अपील कर रहे हैं। दूसरी ओर एकनाथ शिंदे का कहना है कि उद्धव के साथ वाली शिवसेना अब पुरानी पार्टी नहीं रह गई है। शिंदे ने दावा किया है कि निर्दलीय और शिवसेना के 42 से ज्यादा विधायक उनके साथ हैं। यानी असली शिवसेना ही उनके साथ है। इतना ही नहीं शिंदे ने एक दिन पहले ही महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर को 34 विधायकों के हस्ताक्षर वाली चिट्ठी भेजी, जिसमें शिवसेना के विधायक दल के चीफ व्हिप को हटाने की बात कही गई है। 



शिंदे के इस कदम को शिवसेना प्रमुख और सीएम उद्धव ठाकरे के लिए बड़ी चुनौती के तौर पर देखा जा रहा है। दरअसल, पार्टी के मुख्य व्हिप को हटाने का फैसला आमतौर पर दल के प्रमुख का ही होता है। अपने नेताओं के इतनी बड़ी संख्या में टूटने और उनके बगावती तेवर देखने के बाद उद्धव ठाकरे ने खुद मंगलवार को सीएम आवास छोड़ दिया और अपने घर मातोश्री लौट गए। उन्होंने बागी विधायकों से इस्तीफा तैयार होने की बात भी कही। 

ऐसे में यह सवाल अभी भी सामने हैं कि क्या शिवसेना के दो-तिहाई विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे पार्टी पर अपना दावा ठोक सकते हैं? अगर शिवसेना टूटती है तो उसका तीर-कमान का निशान किस धड़े के पास रहेगा? इसके अलावा पार्टी टूटने पर असली शिवसेना कौन है, इसका फैसला कौन करेगा? 

क्या शिवसेना पर दावा ठोक सकते हैं एकनाथ शिंदे?
एकनाथ शिंदे के साथ गुवाहाटी के होटल में शुरुआत में विधायकों की संख्या 34 थी। हालांकि, मुंबई से बुधवार और गुरुवार को कुछ और विधायक गुवाहाटी पहुंच गए। शिंदे गुट की ओर से कहा गया है कि उसके पास 40 शिवसेना के विधायकों का समर्थन है, जबकि छह से ज्यादा निर्दलीय भी उनके साथ हैं। इस धड़े ने गुवाहाटी में रुके 42 विधायकों की एक तस्वीर भी जारी की थी, जिसमें 35 शिवसेना के एमएलए शामिल थे। यानी शिंदे के पार्टी तोड़ने और दल-बदल कानून से बचने के दावे से महज दो कम। ऐसे में माना जा सकता है कि शिंदे के पास विधायकों का जरूरी समर्थन मौजूद है।
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