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विनय कुमार सक्सेना होंगे दिल्ली के नए एलजी

 अनिल बैजल के इस्तीफे के बाद विनय कुमार सक्सेना को दिल्ली का उपराज्यपाल नियुक्त किया गया है। सक्सेना दिल्ली के 22वें उपराज्यपाल बने हैं। वह पदभार ग्रहण करने की तारीख से दिल्ली के उपराज्यपाल होंगे। इससे पहले विनय कुमार सक्सेना खादी ग्रामोद्योग आयोग भारत सरकार के चैयरमैन थे। उन्होंने 27 अक्तूबर 2015 को अध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण किया था।


अनिल बैजल के इस्तीफे के बाद चर्चा थी कि प्रफुल्ल खोड़ा पटेल, राकेश मेहता, राजीव महर्षि, सुनील अरोड़ा और राकेश अस्थाना में से कोई एलजी बनाया जा सकता है। उपराज्यपाल पद पर अनिल बैजल का कार्यालय दिल्ली सरकार के साथ विवादों से जुड़ा रहा। खास तौर पर उनके व दिल्ली सरकार के बीच अधिकारों को लेकर निरंतर टकराव देखने को मिला। उनके बीच विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा।
वाजपेयी सरकार में रहे केंद्रीय गृह सचिव
उपराज्यपाल पद से पहले 1969 बैच के आईएएस अधिकार रहे अनिल बैजल ने अनेक बड़े पदों पर सेवाएं दीं। वह दिल्ली के 21वें उपराज्यपाल बनाए गए थे। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय गृह सचिव के रूप में काम किया था।

बैजल ने किरण बेदी के खिलाफ की थी कार्रवाई  
केंद्रीय गृह सचिव रहते हुए ही उन्होंने किरण बेदी पर कार्रवाई की थी और उन्हें हेड ऑफ जेल्स के पद से हटा दिया था। इसके अलावा अनिल बैजल ने कई मंत्रालयों में महत्वपूर्ण पद संभाले।

इन पदों पर भी आसीन रहे बैजल
वह दिल्ली विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। वह अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के मुख्य सचिव, इंडियन एयरलाइंस के एमडी, प्रसार भारती के सीईओ, गोवा के विकास आयुक्त, दिल्ली के आयुक्त (बिक्री कर और उत्पाद शुल्क) के पद पर भी रहे। वह वर्ष 2006 में शहरी विकास मंत्रालय के सचिव पद से सेवानिवृत्त हुए थे। इसके बाद जवाहरलाल नेहरू नेशनल अर्बन रिन्यूअल मिशन से जुड़े रहे।

 नजीब जंग के इस्तीफे के बाद बने दिल्ली के एलजी
दिसंबर 2016 में नजीब जंग के बाद अनिल बैजल दिल्ली के उपराज्यपाल बने थे। नजीब जंग की तरह उनके भी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ मतभेद रहे। कई मामलों को लेकर अनेक बार दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल अनिल बैजल के बीच टकराव की बातें सामने आती रही है। उन्होंने एक साल पहले दिल्ली सरकार की 1000 बसों की खरीद प्रक्रिया की जांच को लेकर तीन सदस्यों की एक कमेटी बना दी थी। इस मसले पर भी दिल्ली सरकार से उनकी काफी खटपट हुई थी।
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