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इंदौर का एक और नवाचार, अब रोबोट से होगी कचरे की

 इंदौर। पांच साल से अव्वल इंदौर शहर की सफाई में लगातार नवाचार करते आ रहा है। अब ट्रेचिंग ग्राउंड में कचरे की छंटाई में एक नया प्रयोग होने जा रहा है। देश में पहली बार ट्रेचिंग ग्राउंड में व्यवसायिक तौर पर कचरे की छंटाई के लिए रोबोट का इस्तेमाल किया जाएगा। ट्रेचिंग ग्राउंड पर कचरे की छंटाई का काम कर रही नेप्रा कंपनी अगले पांच से छह माह में इंदौर में रोबोट का उपयोग शुरू करेगी। अभी इस आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) रोबोट का प्रयोगिक तौर पर अहमदाबाद में कंपनी के कचरा पृथकीकरण प्लांट में उपयोग किया जा रहा है। यह रोबोट को वस्तुओं को पहचानकर उसे आसानी से अलग-अलग कर देता है। अभी जहां सूखे कचरे को रिसायकल किया जा रहा है।


वहीं रोबोट के उपयोग से सूखे कचरे की गुणवत्ता बेहतर होने पर उसकी अप साइकिलिंग की जा सकेगी। उदाहरण के लिए शैम्पू की बाेतल तैयार करने वाली कंपनी को पुन: उपयोग के लिए बोतल दी जा सकेगी। इस तरह अभी जहां कई उत्पादों की पैकेजिंग में जहां वर्जिन प्लास्टिक का उपयोग हाेता है। वहीं कचरे काे अप साइकल करने पर वर्जिन प्लास्टिक का उपयोग भी कम होगा। इससे प्लास्टिक का उपयोग भी घटेगा।

एक मिनट में 200 वस्तुएं उठाएगा रोबोट

कंपनी ने कचरा छंटाई के लिए जो देशी तकनीक पर आधारित एआई रोबोट तैयार किया गया है। अभी जहां प्लांट में एक कर्मचारी एक मिनट में 40 वस्तुओं को उठाता है। वहीं रोबोट एक मिनट में 200 वस्तुओं को अलग करेगा। इस तरह कचरे की छंटाई की गति भी तीन से चार गुना बढ़ेगी। अभी एक कर्मचारी जहां 200 किलो कचरे को छांटता है, वहीं एक रोबोट 800 किलो कचरे की छंटाई कर सकेगा। रोबोट का उपयोग होने से ट्रेचिंग ग्राउंड में सूखे कचरे के पृथककीरण के प्लांट का 24 घंटे संचालन किया जा सकेगा।

अभी इंदौर के ट्रेचिंग ग्राउंड पर सुबह सात से शाम छह बजे तक कचरा पृथकीकरण का कार्य किया जाता है। इस कार्य में ज्यादातर महिला कर्मचारी होती हैं। ऐसे में वो रात में काम करने को तैयार नहीं रहती है। रोबोट के आने पर रात में प्लांट में कचरे की छंटाई का काम हो सकेगा। अभी प्लांट में 280 रैगपिकर्स कचरे की छंटाई का काम करते हैं। इनके साथ कंपनी के 70 कंपनी का अन्य स्टाफ भी होता है।

150 टन कचरा सीमेंट फैक्टरियों को ईंधन के रुप में दे रहे

ट्रेचिंग ग्राउंड के प्लांट पर पर अभी प्रतिदिन 400 टन सूखा कचरा पहुंचता है। छंटाई के बाद 150 टन अनुपयोगी कचरा जिसमें कपड़े, गद्दे, तकिया, खराब क्वालिटी का प्लास्टिक होता है। इसे सीमेंट फैक्टरियों को ईंधन के लिए दिया जाता है।


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