जबलपुर। सेना की और ज्यादा सक्षम बनाने आर्डिनेंस फैक्ट्री खमरिया ने 500 किलो के जनरल परपज बम बनाए हैं। वायुसेना को 48 बमों की पहली खेप भेजी जा चुकी है। रक्षा मंत्रालय की ओर ये जो लक्ष्य दिया गया है, उसे ध्यान में रखते हुए जीपी बमों की सप्लाई पूरे साल जारी रहेगी। ये बम इतने विध्वंसक हैं कि आसमान से गिरने के बाद किसी भी संरचना को तबाह कर सकते हैं।
वायुसेना की टीम ओएफके से बमों की खेप लेकर डिपो के लिए रवाना हो चुकी है। यह बम ओएफके और जीआइएफ के लिए बड़ी उपलब्धि माना जा सकता है। ये बम आमतौर पर टीएनटी, कंपोजिशन-बी या ट्राइटोनल के साथ एक मोटी दीवार वाली धातु के कवर (खोल) से ढंके होते हैं, जो बम के कुल वजन का लगभग 35 प्रतिशत होता है। इसका खोल जबलपुर की ही ग्रे-आयरन फाउंडरी में तैयार किया गया। जबकि बम की फिलिंग आर्डिनेंस फैक्ट्री खमरिया के एफ-6 सेक्शन में की गई। प्रबंधन के जिम्मेदारोें का कहना है कि ओएफके सैन्य सामग्रियों को भारतीय सेना को ही नहीं बल्कि जरूरत के मुताबिक दूसरे देशों को भी भेजने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
देश का सबसे बड़ा बम : श्रमिक नेताओं का दावा है कि यह बम देश का सबसे बड़ा बम है। इसकी लंबाई करीब दो मीटर और वजन 500 किलोग्राम है। इस बम को सुखोई-30 और जगुआर जैसे लड़ाकू विमानों से टारगेट पर गिराया जा सकता है। यह बम पल भर में किसी भी बसाहट को खंडहर में तब्दील कर सकता है।
अत्यंत शक्तिशाली और विध्वंसक : रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के सहयोग से बने जीपी बम अत्यंत शक्तिशाली है। इसमें बुलेट के समान 10 हजार से ज्यादा स्टील की गोले होंगे। स्टील के इन गोलों का आकार 1.5 मिलीमीटर होगा। बम में भरे गए गोलों की ताकत का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि प्रत्येक गोला 12 मिलीमीटर मोटी स्टील की चादर को छेद सकता है। यह बम जहां बंकरों और पुलों को तबाह कर सकता है वहीं इसके प्रहार से रेल लाइन भी तहस-नहस हो सकती है। सीमा-पार स्थित दुश्मन देशों के लिए यह बम कहर का सबब बन सकता है।
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