....

मध्‍य प्रदेश में आदिवासियों को ही मिलेगा माइक्रो डिस्टलरी का लायसेंस

 भोपाल। महुआ के फूल से बनने वाले शराब के लिए सरकार हेरिटेज मदिरा नीति लाएगी। इसमें शराब बनाने का लायसेंस आदिवासी व्यक्ति या समूह को दिया जाएगा। माइक्रो डिस्टलरी भी आदिवासी विकासखंड में ही लगानी होगी। यहां बनने वाली शराब की बिक्री या तो निर्माता स्वयं कर सकेगा या फिर इसके लिए अलग से काउंटर खोले जाएंगे। यह प्रविधान हेरिटेज मदिरा नीति-2022 में प्रस्तावित किए गए हैं।



नीति का प्रस्तुतिकरण

वाणिज्यिक कर विभाग ने शुक्रवार को नीति का प्रस्तुतिकरण गृह मंत्री डा.नरोत्तम मिश्रा की अध्यक्षता वाले मंत्रिमंडल समूह की बैठक में किया। इसमें हेरिटेज मदिरा का पेटेंट करने पर सहमति भी बनी। अब नीति को अंतिम निर्णय के लिए कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।

महुआ के फूल से बनाई जाने वाली शराब की काफी मांग

परंपरागत रूप से महुआ के फूल से बनाई जाने वाली शराब की काफी मांग रहती है। इसे ब्रांड के रूप में विकसित करके मार्केटिंग भी की जाएगी। इसके लिए वाणिज्यिक कर विभाग ने हेरिटेज नीति का प्रारूप तैयार किया है। इसमें प्रविधान किया गया है कि माइक्रो डिस्टलरी का लायसेंस आदिवासियों को ही दिया जाएगा।

संग्रहण और भंडारण की पुख्ता व्यवस्था बनाई जाएगी

विभाग की प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी ने बैठक में बताया कि नीति में जनजातियों के तदिरा निर्माण के कौशल उन्नयन के लिए प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। संग्रहण और भंडारण की पुख्ता व्यवस्था बनाई जाएगी। निर्माता स्वयं शराब का बेच सकेंगे।

काउंटर से भी विक्रय की व्यवस्था बनाई जाएगी

ईको-टूरिज्म के बार सहित अन्य काउंटर से भी विक्रय की व्यवस्था बनाई जाएगी। वन मंत्री विजय शाह ने सुझाव दिया कि नीति में विभाग की भागीदारी सुनिश्चित होनी चाहिए। बैठक में वित्त एवं वाणिज्यिक कर मंत्री जगदीश देवड़ा, स्वास्थ्य मंत्री डा.प्रभुराम चौधरी सहित विभागीय अधिकारी मौजूद थे।

Share on Google Plus

click vishvas shukla

    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

Post a Comment