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सीहोर में निजी स्कूल प्रबंधन की लापरवाही, 17 विद्यार्थी 10वीं की बोर्ड परीक्षा से वंचित

 सीहोर. । शहर के सीहोर अकादमी पब्‍लिक स्‍कूल में अध्ययनरत कक्षा 10वीं के विद्यार्थी बोर्ड परीक्षा से वंचित रह गए। इसमें स्कूल प्रबंधन की लापरवाही सामने आ रही है, क्योंकि विद्यार्थियों को परीक्षा शुरू होने से पहले तक प्रवेश पत्र देने का आश्वासन देते रहे, लेकिन जब शुक्रवार को पहला पेपर हिंदी का हुआ तो प्रवेश पत्र नहीं मिलने से 17 विद्यार्थी बोर्ड परीक्षा से वंचित रह गए। इससे जहां बच्चों व उनके पालकों में रोष है, वहीं डीईओ ने माध्यमिक शिक्षा मंडल को प्रकरण भेजकर जिला प्रशासन को भी अवगत कराया है। साथ ही स्कूल संचालक को नोटिस जारी किया है। इधर स्‍कूल संचालक के बेटे द्वारा जहरीला पदार्थ खाने की बात भी सामने आ रही है। उसे अस्‍पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसका इलाज चल रहा है। कयास लगाए जा रहे हैं कि इस प्रकरण पर बवाल मचने के बाद उसने घबराहट में ऐसा कदम उठा लिया।

निजी संस्थान सीहोर अकादमी में कक्षा दसवीं में अध्ययनरत महेंद्र केथवार, अंकित केथवार, अभिषेक केथवार, हिमांशु प्रजापति, अभिषेक प्रजापति सहित अन्य विद्यार्थियों ने बताया कि गुरुवार सुबह स्‍कूल पहुंचे और प्रबंधक आलोक सर से प्रवेश पत्र मांगे तो उनका कहना था कि फीस जमा करके प्रवेश पत्र ले जाओ, लेकिन जब शाम को पैसे लेकर पहुंचे तो कहा कि फार्म निरस्त हो गए हैं इसलिए प्रवेश पत्र नहीं आए। जिला शिक्षा अधिकारी से बात की तो उन्होंने कहा कि सुबह आकर मिलो। सुबह आठ बजे उनसे मिले और आवदेन दिया, तो उनका कहना था कि दो माह बाद अवसर मिलेगा, उसमें परीक्षा दे देना। हम पूरे मामले की जांच करवाएंगे। ऐेसे में विद्यार्थी परीक्षा से वंचित होने के बाद मायूस होकर घर लौट गए।

दस्तावेज नहीं हो रहे उपलब्ध

डीईओ यूयू भिड़े ने बताया कि मेरे पास विद्यार्थियों को गुरुवार को रात फोन आया था, तो मैंने बच्चों को बुलाया था, जिन्होंने मुझे एक आवेदन दिया, जिसमें स्कूल द्वारा प्रवेश पत्र नहीं देने की बात कही गई थी। जब स्कूल संचालक से बात की तो उसका कहना था कि मेरे बच्चे ने जहरीला पदार्थ खा लिया था, जिसमें व्यस्त था। करीब 17 बच्चों के फार्म जमा नहीं हो पाने से प्रवेश पत्र जारी नहीं हो सके हैं। इसके बाद मैंने बच्चों को 'रुक जाना नहीं' योजना के तहत दो माह बाद परीक्षा में सम्मलित होने की बात कही। हालांकि हम प्रयास कर रहे हैं कि बच्चों के दस्तोवज उपलब्ध हो जाए और पूरी जानकारी मिल जाए तो माध्यमिक शिक्षा मंडल कार्यालय में उनकी जानकारी भेजकर परीक्षा में सम्मलित कराया जा सके।
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