....

मध्‍य प्रदेश में मतांतरण की गतिविधियों पर सख्ती से कार्रवाई हो : सीएम शिवराज

 भोपाल । प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति के आधार पर भी जिलों की अलग से रैकिंग होगी। इसमें जिलों में होने वाले अपराध और उन पर की गई कार्रवाई के आधार पर प्रदर्शन का आकलन किया जाएगा। पुलिस भर्ती प्रति वर्ष होगी। थाने में अभी जब्त वाहनों का अंबार लगा रहता है। इससे ये कबाड़ की जगह नजर आते हैं। ऐसी स्थिति नहीं होनी चाहिए। मतांतरण की घटनाएं हो रही हैं। एनजीओ की आड़ में चलने वाली ऐसी गतिविधियों पर सख्ती से अंकुश लगाया जाए। यह निर्देश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को गृह विभाग की समीक्षा के दौरान दिए।


पुलिस की धमक और जनता का विश्वास होना चाहिए

मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस की धमक होनी चाहिए। आमजन में पुलिस के प्रति विश्वास और अपराधियों में खौफ होना चाहिए। उन्होंने पूछा कि पुलिस मुख्यालय में पदस्थ अधिकारी कितने दौरे करते हैं। वरिष्ठ अधिकारी इसका ब्योरा रखें और जांच भी करें। जटिल प्रकरणों की गुत्थियां सुलझाने में फारेंसिक साइंस की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इसके लिए सक्षम संस्थान और अनुसंधान प्रणाली विकसित की जाए। पुलिस थानों की भी ग्रेडिंग (सर्वश्रेष्ठ, बेहतर, नंबर दो और फिसड्डी) की जाए। साइबर क्राइम, ड्रग्स, नक्सलवाद, महिला और बच्चों के प्रति हो रहे अपराध को रोकने पर विशेष ध्यान रहे। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थानीय युवाओं को पुलिस में भर्ती के लिए प्रोत्साहित किया जाए। जनसंवाद करें और सूचना प्रौद्योगिकी में पुलिसकर्मियों को दक्ष किया जाए।

फिटनेस का रखें ध्यान

मुख्यमंत्री ने भोपाल के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त सचिन अतुलकर का उदाहरण देते हुए कहा कि पुलिसकर्मियों की फिटनेस ऐसी ही होनी चाहिए। पेट बाहर निकला हुआ है और ढीला-ढाला शरीर नहीं होना चाहिए। एक आकर्षण होना चाहिए।

जेल में ड्रग्स और मोबाइल पहुंचने की घटनाएं रोकें

जेल विभाग की समीक्षा के दौरान उन्होंने निर्देश दिए कि जेल में ड्रग्स और मोबाइल पहुंचने की घटनाओं को से गंभीरता लें। ऐसे घटनाएं नहीं होनी चाहिए। कैदियों द्वारा तैयार उत्पादों की ब्रांडिंग करें। हमें पांच साल में कितने जेल भवन बनाने हैं, यह तय कर लें। कुछ जगहों पर जेल शहर के बीच में हैं। इनकी जगह दूसरे स्थान पर जेल बनाई जाए। इससे जेल भवन भी बन जाएंगे और भूमि का सदुपयोग भी हो जाएगा। जेल भवन दो और तीन मंजिल बनाए जा सकते हैं। वरिष्ठ अधिकारी जेलों का नियमित निरीक्षण करें। विचाराधीन कैदियों की संख्या भी कम हो। कैदियों के अस्वस्थ होने पर निजी चिकित्सकों से भी इलाज की व्यवस्था करें।

Share on Google Plus

click vishvas shukla

    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

Post a Comment