नीति आयोग के सदस्य और कोविड-19 पर
गठित उच्चस्तरीय समिति के अध्यक्ष डॉ. विनोद के पॉल ने कहा है कि हमारा विश्लेषण
यह बताता है कि कोरोना संक्रमण मामलों के दोगुने होने की दर को धीमा करने में
लॉकडाउन प्रभावी साबित हुआ है। डॉ. पॉल ने कहा कि लाॉकडाउन का फैसला समय से लिया
गया। अगर इसे लागू करने में देर की जाती तो वर्तमान में देश में कोरोना के मामलों
की जो संख्या 23 हजार के आस-पास है वह संख्या 73
हजार तक जा सकती थी।
21 मार्च को देश में कोरोना के मामले तीन दिन में
दोगुने हो रहे थे। लॉकडाउन के पहले सप्ताह (24 से 30
मार्च) के बीच मामलों के दोगुने होने की दर 5.3 दिन थी। इसके
दूसरे सप्ताह (31 मार्च से छह अप्रैल) में यह रफ्तार घटकर 4.2
दिन हो गई। लॉकडाउन के तीसरे सप्ताह (7 से 13 अप्रैल) में यह
आंकड़ा छह दिन हुआ और चौथे सप्ताह (14 से 20 अप्रैल) में
कोरोना के मामलों की संख्या दोगुनी होने की दर 8.6 दिन हो गई।
लड़ाई लंबी है, अभी साल भर बना
रहेगा खतरा
डॉ. पॉल का कहना है कि कोरोना के खिलाफ जंग में
पिछले एक महीने में भारत सरकार को प्रभावी परिणाम मिले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी द्वारा पूरे देश में लॉकडाउन लागू करने का समय से लिए गए फैसले ने देश में
कोरोना को भयावह तरीके से फैलने से रोक दिया। उन्होंने कहा, लॉकडाउन का
फैसला प्रभावी था और इसने संक्रमण की रफ्तार धीमी करने में खासी महत्वपूर्ण भूमिका
निभाई। उन्होंने कहा कि कोविड-19 का खतरा अभी एक-सवा साल तक बने रहने
के आसार हैं।
0 comments:
Post a Comment