नई दिल्ली ! कोरोना वायरस (Coronavirus)
के
कारण देश कठिन दौर से गुजर रहा है। इस वैश्विक महामारी से खतरे के मद्देनजर
प्रधानमंत्री मोदी देशवासियों को संबोधित कर रहे हैं। उन्होंने लोगों से सोशल
डिस्टेंसिंग की अपील की है। प्रधानमंत्री ने देशवासियों से अपील की है कि जितना
संभव हो वे घरों से निकलने से बें। उन्होंने रविवार को जनता कर्फ्यू की अपील की है,
यानी
जनता खुद ही खुद को ऐसे आइसोलेट करने की कोशिश करे, जैसे कर्फ्यू
में होता है।
पीएम मोदी का पूरा भाषण
प्यारे देशवासियो,
पूरा विश्व इस समय संकट के बहुत बड़े गंभीर दौर
से गुजर रहा है। आम तौर पर कभी जब कोई प्राकृतिक संकट आता है तो वो कुछ राज्यों या
देशों तक सीमित रहता है। लेकिन इस बार यह संकट ऐसा है, जिसने विश्वभर
में पूरी मानव जाति को संकट में डाल दिया है। जब प्रथम विश्व युद्ध हुआ था,
जब
द्वितीय विश्व युद्ध हुआ था तब भी इतने देश युद्ध से प्रभावित नहीं हुए थे,
जितने
आज कोरोना की बीमारी से हैं।
पिछले 2 महीने से हम निरंतर दुनियाभर से आ रहे
कोरोना वायरस से जुड़ीं चिंताजनक खबरें देख रहे हैं, सुन रहे हैं। इन
दो महीनों में भारत के 130 करोड़ नागरिकों ने कोरोना जैसी
वैश्विक महामारी का डटकर मुकाबला किया। सभी ने सावधानियां बरतने का भरसक प्रयास भी
किया है। लेकिन बीते कुछ दिनों से ऐसा लग रहा है, माहौल बन रहा है
कि हम संकट से बचे रहेंगे। निश्चिंत हो जाने की यह सोच सही नहीं है। इसलिए प्रत्येक
भारतवासी का सजग रहना, सतत रहना बहुत आवश्यक है।
आपसे मैंने जब भी और जो भी मांगा है, देशवासियों
ने निराश नहीं किया है। ये आपके आशीर्वाद की कीमत है कि हम सभी मिलकर अपने
निर्धारित लक्ष्यों की तरफ आगे बढ़ रहे हैं। आज हम 130 करोड़
देशवासियों से कुछ मांगने आए हैं। मुझे आपसे आपके आने वाले कुछ सप्ताह चाहिए,
आने
वाला कुछ समय चाहिए।
अभी तक विज्ञान कोरोना महामारी से बचने के लिए
कोई निश्चित उपाय नहीं सुझा सका है और न ही इसकी कोई वैक्सीन बन पाई है। ऐसी
स्थिति में हर किसी की चिंता बढ़नी बहुत स्वाभाविक है। दुनिया के जिन देशों में
कोरोना का वायरस और उसका प्रभाव ज्यादा देखा जा रहा है, वहां अध्य्यन
में एक और बात सामने आई है। इन देशों में शुरुआती कुछ दिनों के बाद अचानक जैसे
बीमारी का विस्फोट हुआ है। इन देशों में संक्रमितों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी
है। भारत सरकार इस वैश्विक महामारी के फैलाव के ट्रैक रेकॉर्ड पर पूरी तरह नजर रखी
हुई है। हालांकि, कुछ देश ऐसे भी हैं, जिन्होंने जरूरी
फैसले भी किए और अपने लोगों को ज्यादा से ज्यादा आइसोलेट करके स्थिति को संभाला
है।
भारत जैसे 130 करोड़ की आबादी
वाले देश, वह देश जो विकास के लिए प्रत्यनशील है, उस पर कोरोना का
यह संकट सामान्य बात नहीं है। आज जब बड़े-बड़े और विकसित देशों में हम इस वैश्विक
महामारी का व्यापक प्रभाव देख रहे हैं तो भारत पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा,
यह
मानना गलत है। इसलिए इसका मुकाबला करने के लिए 2 बातें बहुत
महत्वपूर्ण हैं। पहला संकल्प और दूसरा संयम।
आज 130 करोड़ देशवासियों को अपना संकल्प और
दृढ़ करना होगा कि हम नागरिक के तौर पर अपने कर्तव्यों का पालन करेंगे। केंद्र और
राज्य सरकारों के दिशानिर्देशों का पूरी तरह पालने करेंगे। हमें संकल्प लेना होगा
कि हम खुद संक्रमित होने से बचेंगे और दूसरों को संक्रमित होने से बचाएंगे। हम
स्वस्था तो जगत स्वस्थ। ऐसी स्थिति में जब इस बीमारी की कोई दवा नहीं है तो हमारा
खुद का स्वस्थ बने रहना सबसे ज्यादा जरूरी है। इस बीमारी से बचने के लिए दूसरी
अनिवार्यता है- संयम। संयम का तरीका क्या है- भीड़ से बचना, सोशल
डिस्टेंसिंग। यह बहुत ही ज्यादा आवश्यक और कारगर है। हमारा संकल्प और संयम इस
वैश्विक महामारी के प्रभाव को कम करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाला है।
इसलिए अगर आपको लगता है कि आप ठीक हैं, आपको
कुछ नहीं होगा तो आप ऐसे ही मार्केट में घूमते रहेंगे और कोरोना से बचे रहेंगे तो
यह सोच नहीं है। ऐसा करके आप अपने साथ और अपने परिवार के साथ अन्याय करेंगे। इसलिए
मेरा सभी देशवासियों से आग्रह है कि आने वाले कुछ सप्ताह तक जब बहुत जरूरी हो तभी
अपने घर से बाहर निकलें। जितना संभव हो सके, आप अपना काम हो
सके तो अपने घर से ही करें। जो सरकारी सेवाओं में हैं, अस्पताल से
जुड़े हैं, जनप्रतिनिधि हैं, मीडिया से जुड़े
हैं, इनकी सक्रियता तो जरूरी है लेकिन बाकी बचे लोगों को खुद को आइसोलेट
कर लेना चाहिए। हमारे परिवार में जो भी 60-65 साल से ज्यादा
उम्र के लोग हों, वे आने वाले कुछ सप्ताह तक घर से बाहर न
निकलें। मैं इसे दोहरा रहा हूं।
हो सकता है कि वर्तमान पीढ़ी कुछ पुरानी बातों
से परिचित नहीं होगी। जब हम छोटे थे और जब युद्ध जैसी स्थिति होती थी तो गांव-गांव
ब्लैकआउट कर दिया जाता था। शीशे पर भी कागज लगा दिया जाता था। लाइट बंद रखी जाती
थी। रोज रात भर चौकी किया करते थे। युद्ध न हो तो भी साल में एक दो बार तो इसका
ड्रिल भी करता था प्रशासन। इसलिए मैं आज प्रत्येक देशवासी से एक और समर्थन मांग
रहा हूं। यह है जनता कर्फ्यू। जनता कर्फ्यू यानी जनता के लिए, जनता
द्वारा खुद पर लगाया गया कर्फ्यू। इस रविवार यानी 2 दिन के बाद 22
मार्च
को सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक सभी देशवासियों को जनता कर्फ्यू
का पालन करना है। इस जनता कर्फ्यू के दरम्यान कोई भी नागरिक घरों से बाहर मत निकले,
न
सड़क पर जाए, न मोहल्ला में जमा हो। हां, जो
आवश्यक कार्यों से जुड़े हुए हैं, उन्हें तो बाहर निकलना ही पड़ेगा।
लेकिन एक नागरिक के नाते न हम जाएं और न हम देखने के लिए जाएं। 22 मार्च
को हमारा यह प्रयास, हमारा आत्मसंयम देशहित में कर्तव्य पालन के
संकल्प का एक मजबूत प्रतीक होगा। 22 मार्च को जनता कर्फ्यू की सफलता,
उसका
अनुभव हमें आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार करेगी। सभी राज्य सरकारों से भी आग्रह
करूंगा कि वे जनता कर्फ्यू का पालन कराने का नेतृत्व करें।
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