भारत-चीन संबंधों में आए ठहराव को दूर करने की कोशिशें तेज हो गई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अगले शुक्रवार को चीन के वुहान में मिलेंगे और रिश्तों में नई जान फूंकने की पहल करेंगे।
जिनपिंग के न्योते पर ही मोदी दोकलम विवाद के बाद पहली बार चीन पहुंचेंगे। इस दो दिवसीय दौरे की घोषणा रविवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ द्विपक्षीय वार्ता के बाद चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने की।
वांग ने कहा, भारत और चीन सहयोग में ‘प्राकृतिक साथी’ हैं। हमारे साझा हित हमारे मतभेदों से ज्यादा अहम हैं। हम कोशिश करेंगे कि ये मुलाकात भारत-चीन संबंधों के इतिहास में नया मील का पत्थर बने।
चीन मोदी के इस दौरे को कितना महत्व दे रहा है, यह इससे भी पता चलता है कि ये पहला मौका होगा, जब राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्विपक्षीय वार्ता के लिए किसी विदेशी नेता से बीजिंग से इतर अपने देश में कहीं और मिलेंगे। आमतौर पर चीन कोई बहुपक्षीय सम्मेलन ही बीजिंग से बाहर आयोजित करता है।
प्रधानमंत्री मोदी को इस दौरे के करीब डेढ़ महीने बाद 9 व 10 जून को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने फिर चीन के कियांगडो शहर ही जाना है। तब भी मोदी और जिनपिंग की मुलाकात होगी। हालिया सालों में ये पहला मौका होगा, जब कोई विदेशी नेता इतनी जल्दी चीन के दो दौरे करेगा।
वांग यी ने इस दौरे को दोनों देशों के दीर्घकालिक हितों के लिए अहम बताया। सुषमा ने कहा, दोनों नेता एक-दूसरे को विकास से जुड़ी अपनी प्राथमिकताओं से भी अवगत कराएंगे। साथ ही विवाद और मतभेदों के कारण कमजोर हो गई द्विपक्षीय साझेदारियों को भी नए सिरे से मजबूती देंगे।
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