आज हरतालिका तीज है। उत्तर भारत में इस दिन को महिलाओं खूब धूमधाम से मनाती है। आज के दिन केवल शादीशुदा औरतें अपने पति की लंबी उम्र के लिए ये व्रत नहीं रखती हैं, बल्कि कुंवारी लड़कियां भी अच्छे वर और रिश्ते में प्रेम बढ़ाने के लिए ये व्रत रखती हैं। भाद्रपद, शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन इसे मनाया जाता है। इस दिन गौरी-शंकर की पूजा की जाती है।
महिलाएं को निर्जला व्रत रहना पड़ता है। इस व्रत में पूजन रात भर किया जाता है। इस पूजन में भगवान शंकर व माता पार्वती की प्रतिमा बनाकर एक चौकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर बनाई जाती है।
रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश, पार्वती व उनकी सहेलियों की भी प्रतिमा बनाई जाती है। इसके बाद पूजन किया जाता है। पूजन-पाठ के बाद महिलाएं रात भर भजन-कीर्तन करती हैं। दूसरे दिन ये व्रत खुलता है और महिलाएं अन्न ग्रहण करती हैं।
शिव परिवार की कच्ची मूर्ति बनाकर उसका विसर्जन करके ही व्रत संपन्न होता है। पति की लंबी उम्र और सुरक्षा के लिए महिलाएं ये व्रत रखती हैं।
महिलाएं निर्जला रहकर ये व्रत रखती हैं और भगवान शिव, माता पार्वती की बालू या मिट्टी की मूर्ति बनाकर पूजन करती हैं।
इस दिन महिलाएं भोर में ही दही-चुरा, मिष्ठान और फल का सेवन कर पूरे दिन निराजल व्रत रहकर पूजन सामाग्रियों से भगवान शिव परिवार ‘उमा महेश्वर का विधि-विधान से पूजा करेंगी।
दूसरे दिन यानी पारण के दिन एक या इससे अधिक ब्राह्मण दम्पति को भोजन कराकर सौभाग्य की वस्तुओं का दान कर आशीष लेगी।
दूसरे दिन यानी पारण के दिन एक या इससे अधिक ब्राह्मण दम्पति को भोजन कराकर सौभाग्य की वस्तुओं का दान कर आशीष लेगी।
सुन्दर, सुशील वर की कामना के लिए अधिकतर कुंवारी कन्याएं भी तीज का व्रत रहती है और सौभाग्य की कामना के लिए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजन-अर्चन करती है। कहा जाता है कि ये व्रत करवा चौथ से भी ज्यादा कठिन होता है।
0 comments:
Post a Comment