गोवा की राजधानी पणजी में आज से शुरू हो रहे दो दिवसीय ब्रिक्स सम्मेलन में भारत आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की कवायद जारी रखते हुए अपना कूटनीतिक हमला तेज करेगा।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सामने पीएम मोदी एनएसजी सदस्यता और मसूद अजहर का मामला उठा सकते हैं।
इसी बीच सम्मेलन में शामिल होने के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा और ब्राजील के राष्ट्रपति माइक टेमर गोवा पहुंच गए हैं। तीनों राष्ट्राध्यक्षों का गर्मजोशी से स्वागत किया गया।
इस सम्मेलन में आतंकवाद के खतरे से मुकाबले और कारोबार एवं निवेश बढ़ाने जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हो सकती है।
पीएम मोदी ने कहा कि ब्रिक्स देशों के नेता ऐसी अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय चुनौतियों से निपटने पर चर्चा करेंगे जो हमारे लक्ष्यों की राह में बाधा पैदा करते हैं।
मोदी ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा, मैं इस बात को लेकर आशावान हूं कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन ब्रिक्स के भीतर सहयोग को मजबूत करेगा और विकास, शांति, स्थिरता एवं सुधार को लेकर हमारा साझा एजेंडा पूरा करेगा।
ब्रिक्स में शामिल पांचों देश दुनिया के 3.6 अरब लोगों यानी करीब आधी आबादी की नुमाइंदगी करते हैं और उनका कुल जीडीपी 16.6 खरब अमेरिकी डॉलर है।
आतंकवाद से प्रभावी तौर पर निपटने के लिए कॉम्प्रीहेंसिव कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल टेररिज्म (सीसीआईटी) पर संयुक्त राष्ट्र में जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए भारत ब्रिक्स देशों के बीच एकता की पुरजोर वकालत कर सकता है।
सीसीआईटी की पहल भारत की ओर से की गई थी, लेकिन संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों के बीच आतंकवाद की परिभाषा को लेकर मतभेद के कारण यह फंसा पड़ा है। आतंकवाद से मुकाबले के मामले में ब्रिक्स देशों के बीच ज्यादा सहयोग पर भी भारत जोर दे सकता है।
सीसीआईटी की पहल भारत की ओर से की गई थी, लेकिन संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों के बीच आतंकवाद की परिभाषा को लेकर मतभेद के कारण यह फंसा पड़ा है। आतंकवाद से मुकाबले के मामले में ब्रिक्स देशों के बीच ज्यादा सहयोग पर भी भारत जोर दे सकता है।
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