यूरोपीय संघ के देशों के नेता ब्रिटेन के बाहर जाने के फ़ैसले पर अफ़सोस जता रहे हैं साथ ही उन्होंने लोगों से शांत रहने और स्थिरता बनाए रखने की अपील की है.
हालांकि अब वो यह भी चाहते हैं कि ब्रिटेन तेज़ी से हरकत में आए और यूरोपीय संघ से बाहर जाने की प्रक्रिया पर अमल करना शुरू करे.
यूरोपीय परिषद, संसद और आयोग, इन सब का कहना है कि अब इस काम में देरी से केवल अनिश्चितता बढ़ेगी.आने वाले दिनों में इस यूरोपीय संकट पर बैठकों का दौर शुरू होने वाला है.
यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष डोनल्ड टस्क ने कहा है कि वो यूरोपीय संघ 27 देशों के नेताओं की बैठक बुलाने जा रहे हैं.
इस बैठक में ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर जाने के फ़ैसले पर चर्चा होगी. ब्रिटिश प्रधानमंत्री को इस बैठक में नहीं बुलाया जाएगा.
यूरोपीय देशों की ज़्यादातर सरकारें अब ब्रिटेन को कोई सुविधा देने के पक्ष में नही हैं.
यूरोपीय देश संघ छोड़ने की सोच रहे दूसरे देशों को हतोत्साहित करना चाहते हैं.
उधर यूरोपीय संघ की डच प्रेसीडेंसी का कहना है कि यूरोप को लोगों की नौकरी, सुरक्षा और प्रवासन को लेकर चिंता पर अब ज़्यादा ध्यान देना चाहिए.जर्मनी ने ब्रिटेन की जनता के फ़ैसले पर अफ़सोस जाहिर किया है और चांसलर अंगेला मैर्केल ने इस जनमत पर गहरा दुख जताया.
यूरोपीय संघ के नेताओं को ये डर है कि कई और देश भी संघ छोड़ने के लिए अपने यहां रायशुमारी करा सकते हैं.
फ्रांस, डेनमार्क, और नीदरलैंड्स की यूरो पर संदेह जताने वाली पार्टियों ने रायशुमारी की मांग रखी है.
इनमें धुर दक्षिणपंथी डच पार्टी पीवीवी के नेता गीयर्ट विल्डर्स भी शामिल हैं.
इधर ब्रिटेन संवैधानिक और राजनीतिक रूप से इतिहास के एक अहम दिन के साथ ख़ुद को व्यवस्थित करने में जुटा है.
यूरोपीय संघ से बाहर जाने के लिए अभियान चलाने वालों में एक प्रमुख शख़्स बोरिस जॉनसन ने जनमत को ब्रिटेन के लिए एक अपनी सीमाओं और क़ानूनों पर नियंत्रण का ‘शानदार मौक़ा’ मौक़ा कहा है.
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