रविवार को एक बार फिर बेपटरी हुए मौसम ने गरज- चमक के साथ कहीं- कहीं रिमझिम तो कहीं जोरदार बारिश हुई। गरजे-तड़के बादलों के साथ कहीं- कहीं आफत के ओले भी बरस गए। बेमौसम बारिश से पकने की कगार पर आई गेहूं और चने की फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंच रहा है।
पहले ही सैकड़ों गांवों में हुई ओलावृष्टि ने खेती-बाड़ी पर कहर बरपाया है। बिगड़े मौसम से अब ओला प्रभावित गांव का सर्वेक्षण कार्य फिर अटक गया। मौसम विभाग का अनुमान है कि एक- दो दिन बादल- बारिश की संभावना हैं।
रविवार को जिले के प्रायः सभी हिस्सों में गरज- चमक के साथ बारिश हुई। शनिवार- रविवार की रात भी कहीं-कहीं बूंदाबांदी और तेज हवाएं चलीं। रविवार की सुबह भी घने छाए काले बादलों से कहीं-कहीं बूंदाबांदी तो कहीं रिमझिम तो कई स्थानों पर जोरदार बारिश हुई। जिसका क्रम रूक-रूक कर कई बार चलता रहा।
नरसिंहपुर, करेली, गाडरवारा, तेंदूखेड़ा, गोटेगांव समेत आसपास के सभी स्थानों और उनसे लगे कई गांवों में बेमौसम हो रही बारिश से किसानों की चिंताएं बढ़ी हैं। विशेष तौर पर उन किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान झेलना पड़ रहा है, जिनकी मसूर की फसल गहाई के लिए रखी है। बारिश से उनकी फसल भींग गई।
रविवार की शाम को तिंदनी, धुबघट, रामपिपरिया आदि गांव में एक बार फिर ओलेवृष्टि की खबर रही। बारिश के साथ कई बार जोरदार तड़की बिजली और चली हवाओं से बिजली आपूर्ति भी बाधित हुई। कठौतिया के पास एक पेड़ भी धराशायी हो गया। कई स्थानों के बिजली के खंबे भी आड़े- तिरछे हुए हैं।
बारिश और ओले के अंदेशे से किसानों की मुश्किलें बढ़ी हैं। खरीफ की फसल से हाथ धो बैठे किसानों को अब चिंता सता रही है कि कटने और गाहने के लिए तैयार हो रही गेहूं, चने की फसल की स्थिति सामने आ रही भोजन की थाली छिनने जैसी हो गई है।
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