गूगल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सुंदर पिचई ने दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (एसआरसीसी) में गुरुवार को विद्यार्थियों से बात करते हुए कहा कि भारत एक युवा देश है और भविष्य की राह यहीं से ही निकलेगी। इसलिए गूगल भारत पर इतना अधिक ध्यान दे रहा है। पिचई ने यहां अपने शौक से लेकर गूगल की योजनाओं पर बात की। जाने-माने कॉमंटेटर हर्षा भोगले ने उसे बात की। पिचई तीन दिवसीय भारत की यात्रा पर हैं।
जब हर्षा ने पिचई से पूछा कि बदलते समय में गूगल को प्रासंगिक रखने की उनकी क्या युना है। पिचई ने कहा कि गूगल में हम हमेशा नई चीजों की तलाश में रहते हैं और भविष्य में काम आने वाली तकनीक को खोजते रहते हैं। तकनीक तेजी से बदल रही है 80 के दशक में कंप्यूटर बन रहे थे और इसके 10 वर्ष बाद इंटरनेट आ गया। इसके बाद स्मार्टफोन दुनिया में छाए हुए हैं। इसी को देखते हुए हम काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में हम वर्चुअल रियलिटी पर काम कर रहे हैं।
भारत पर अधिक ध्यान देने की एक यह भी वजह है क्योंकि भारत ही भविष्य को परिभाषित करेगा। उन्होंने बताया कि जब वह गूगल गए थे तो उन्हें लगा कि जैसे कोई बच्चा किसी कैंडी की दुकान में आ गया हो। यहां हर जगह लोग बेहतरीन चीजों पर काम कर रहे दिखते हैं।
हर्षा ने पूछा कि क्या भारत से पश्चिमी देशों में टेक रॉक स्टार के तौर पर ही जाया जा सकता है। इस पर पिचई ने कहा कि ऐसा नहीं है बहुत सारे लोग अलग-अलग राह पर चलते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि आप अपने सपनों के पीछे रहें और दिल की सुनें। जोखिम लेना हमेशा हितकर होता है। अवसर तो आते जाते रहते हैं लेकिन फोकस बना रहना चाहिए। खुद को रीइनवेंट करने के लिए लगातार अवसरों की तलाश करते रहें। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि पहली बार जोखिम लेने पर काम न बनें लेकिन लंबे समय में यही काम आता है। उनके मुताबिक ऐसे लोगों के साथ काम करना बेहतर होता है जहां आपको असुरक्षा लगे क्योंकि ऐसे में आप हमेशा उन लोगों से बेहतर करने का प्रयास करते हो।
उन्होंने कहा कि विफल होने से कभी नहीं डरना चाहिए। सिलिकॉन वैली में विफल होना भी गर्व की बात होती है। उन्होंने कहा कि हर स्टार्टअप से युवा कुछ न कुछ सीखते ही हैं। ऐसे में अगर वे अपने स्टार्टअप में विफल भी होते हैं तो भी उन्होंने काफी कुछ पा लिया होता है। उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी पहले की पीढ़ी के मुकाबले कम घबराती है।
एक सवाल के जवाब में पिचई ने कहा कि भारत के कोने-कोने में स्टार्टअप शुरू हो रहे हैं। युवा उद्यमिता की ओर बढ़ रहे हैं। भारत के युवा हमेशा से उद्यमी सोच के रहे हैं। यहां के युवा के आइडिया सिलिकॉन वैली में आने वाले विचारों जैसे ही हैं। भारत पूर्व का सिलिकॉन वैली बनने की रहा पर आगे बढ़ रहा है।
पिचई से पूछा गया कि गूगल एंड्रॉयड वर्जन का नाम रसमलाई जैसी किसी भारतीय मिठाई पर क्यों नहीं रखते हैं। इस पर पिचई ने कहा कि अगले एंड्रॉयड वर्जन का नाम रखने से पहले एक पोल कराया जाएगा। अगर उसमें भारतीय मिठाई पसंद बनकर उभरती है तो अगले वर्जन का नाम भारतीय मिठाई पर ही होगा।
पिचई से जब पूछा गया कि यदि आप गूगल के सीईओ नहीं होते तो क्या होते। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि मैं कहीं भी होता लेकिन सॉफ्टवेयर ही बना रहा होता। मुझे यह काम पसंद है। जब तक आपके पास आइडिया है, आपको कोई आगे बढ़ने से नहीं रोक सकता है। पिचई ने कहा कि गूगल अगले तीन सालों में 20 लाख नए एंड्रॉयड डेवलपर को प्रशिक्षण देगा। उन्होंने कहा कि हमारी नई योजना के मुताबिक हम 30 विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर 20 लाख युवाओं को एंड्रॉयड डेवलपर के रूप में प्रशिक्षित करेंगे। हमारे पास जितने अधिक डेवलपर होंगे हम नई चीजों को हल कर पाएंगे।
सार्वजनिक स्थानों पर वाईफाई लगाने की योजना के बारे में पिचई ने बताया कि हम 400 रेलवे स्टेशनों पर वाईफाई सेवा देंगे। यह दुनिया का अपनी तरह का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है। इसके माध्यम से हम लोगों की जिंदगी में बदलाव लाना चाहते हैं।
पिचई ने कहा कि यह सिर्फ भारत ही नहीं हर देश की समस्या है। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों की एक-तिहाई से कम महिलाओं तक ही तकनीक की पहुंच है। अधिकतर महिलाओं का मानना है कि इंटरनेट उनके लिए नहीं है। हम इन्हीं महिलाओं को ऑनलाइन लाने का महत्वपूर्ण काम करना है।
एक सवाल के जवाब में पिचई ने कहा कि गूगल जल्द ही भारत से प्रोजेक्ट लून की शुरुआत करेगा। उन्होंने बताया कि हमने जिस तरह यूट्यूब ऑफलाइन की शुरुआत भारत से की थी और फिर उसे 77 देशों में ले गए। इसी तरह प्रोजेक्ट लून यहीं से शुरू होगा। गुब्बारों की मदद से इंटरनेट की पहुंच को दुनिया के कोने-कोने में पहुंचाना ही प्रोजेक्ट लून है।
पिचई ने पहला मोबाइल फोन 1995 में खरीदा था और पहला स्मार्टफोन 2006 में खरीदा था। मेरे पास 20 से अधिक स्मार्टफोन हैं। शतरंज के खेल का सॉफ्टवेयर बनाया था। 12वीं में कितने अंक आए थे? इतने की मेरा दाखिला श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में नहीं होता।
30 साल क्या कर रहे होगे?
हम ऐसे कई उत्पादों पर काम कर रहे हैं जो मानवता की भलाई के लिए हैं। 30 साल बाद यही कर रहा होऊंगा।
जब हर्षा ने पिचई से पूछा कि बदलते समय में गूगल को प्रासंगिक रखने की उनकी क्या युना है। पिचई ने कहा कि गूगल में हम हमेशा नई चीजों की तलाश में रहते हैं और भविष्य में काम आने वाली तकनीक को खोजते रहते हैं। तकनीक तेजी से बदल रही है 80 के दशक में कंप्यूटर बन रहे थे और इसके 10 वर्ष बाद इंटरनेट आ गया। इसके बाद स्मार्टफोन दुनिया में छाए हुए हैं। इसी को देखते हुए हम काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में हम वर्चुअल रियलिटी पर काम कर रहे हैं।
भारत पर अधिक ध्यान देने की एक यह भी वजह है क्योंकि भारत ही भविष्य को परिभाषित करेगा। उन्होंने बताया कि जब वह गूगल गए थे तो उन्हें लगा कि जैसे कोई बच्चा किसी कैंडी की दुकान में आ गया हो। यहां हर जगह लोग बेहतरीन चीजों पर काम कर रहे दिखते हैं।
हर्षा ने पूछा कि क्या भारत से पश्चिमी देशों में टेक रॉक स्टार के तौर पर ही जाया जा सकता है। इस पर पिचई ने कहा कि ऐसा नहीं है बहुत सारे लोग अलग-अलग राह पर चलते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि आप अपने सपनों के पीछे रहें और दिल की सुनें। जोखिम लेना हमेशा हितकर होता है। अवसर तो आते जाते रहते हैं लेकिन फोकस बना रहना चाहिए। खुद को रीइनवेंट करने के लिए लगातार अवसरों की तलाश करते रहें। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि पहली बार जोखिम लेने पर काम न बनें लेकिन लंबे समय में यही काम आता है। उनके मुताबिक ऐसे लोगों के साथ काम करना बेहतर होता है जहां आपको असुरक्षा लगे क्योंकि ऐसे में आप हमेशा उन लोगों से बेहतर करने का प्रयास करते हो।
उन्होंने कहा कि विफल होने से कभी नहीं डरना चाहिए। सिलिकॉन वैली में विफल होना भी गर्व की बात होती है। उन्होंने कहा कि हर स्टार्टअप से युवा कुछ न कुछ सीखते ही हैं। ऐसे में अगर वे अपने स्टार्टअप में विफल भी होते हैं तो भी उन्होंने काफी कुछ पा लिया होता है। उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी पहले की पीढ़ी के मुकाबले कम घबराती है।
एक सवाल के जवाब में पिचई ने कहा कि भारत के कोने-कोने में स्टार्टअप शुरू हो रहे हैं। युवा उद्यमिता की ओर बढ़ रहे हैं। भारत के युवा हमेशा से उद्यमी सोच के रहे हैं। यहां के युवा के आइडिया सिलिकॉन वैली में आने वाले विचारों जैसे ही हैं। भारत पूर्व का सिलिकॉन वैली बनने की रहा पर आगे बढ़ रहा है।
पिचई से पूछा गया कि गूगल एंड्रॉयड वर्जन का नाम रसमलाई जैसी किसी भारतीय मिठाई पर क्यों नहीं रखते हैं। इस पर पिचई ने कहा कि अगले एंड्रॉयड वर्जन का नाम रखने से पहले एक पोल कराया जाएगा। अगर उसमें भारतीय मिठाई पसंद बनकर उभरती है तो अगले वर्जन का नाम भारतीय मिठाई पर ही होगा।
पिचई से जब पूछा गया कि यदि आप गूगल के सीईओ नहीं होते तो क्या होते। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि मैं कहीं भी होता लेकिन सॉफ्टवेयर ही बना रहा होता। मुझे यह काम पसंद है। जब तक आपके पास आइडिया है, आपको कोई आगे बढ़ने से नहीं रोक सकता है। पिचई ने कहा कि गूगल अगले तीन सालों में 20 लाख नए एंड्रॉयड डेवलपर को प्रशिक्षण देगा। उन्होंने कहा कि हमारी नई योजना के मुताबिक हम 30 विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर 20 लाख युवाओं को एंड्रॉयड डेवलपर के रूप में प्रशिक्षित करेंगे। हमारे पास जितने अधिक डेवलपर होंगे हम नई चीजों को हल कर पाएंगे।
सार्वजनिक स्थानों पर वाईफाई लगाने की योजना के बारे में पिचई ने बताया कि हम 400 रेलवे स्टेशनों पर वाईफाई सेवा देंगे। यह दुनिया का अपनी तरह का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है। इसके माध्यम से हम लोगों की जिंदगी में बदलाव लाना चाहते हैं।
पिचई ने कहा कि यह सिर्फ भारत ही नहीं हर देश की समस्या है। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों की एक-तिहाई से कम महिलाओं तक ही तकनीक की पहुंच है। अधिकतर महिलाओं का मानना है कि इंटरनेट उनके लिए नहीं है। हम इन्हीं महिलाओं को ऑनलाइन लाने का महत्वपूर्ण काम करना है।
एक सवाल के जवाब में पिचई ने कहा कि गूगल जल्द ही भारत से प्रोजेक्ट लून की शुरुआत करेगा। उन्होंने बताया कि हमने जिस तरह यूट्यूब ऑफलाइन की शुरुआत भारत से की थी और फिर उसे 77 देशों में ले गए। इसी तरह प्रोजेक्ट लून यहीं से शुरू होगा। गुब्बारों की मदद से इंटरनेट की पहुंच को दुनिया के कोने-कोने में पहुंचाना ही प्रोजेक्ट लून है।
पिचई ने पहला मोबाइल फोन 1995 में खरीदा था और पहला स्मार्टफोन 2006 में खरीदा था। मेरे पास 20 से अधिक स्मार्टफोन हैं। शतरंज के खेल का सॉफ्टवेयर बनाया था। 12वीं में कितने अंक आए थे? इतने की मेरा दाखिला श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में नहीं होता।
30 साल क्या कर रहे होगे?
हम ऐसे कई उत्पादों पर काम कर रहे हैं जो मानवता की भलाई के लिए हैं। 30 साल बाद यही कर रहा होऊंगा।
0 comments:
Post a Comment